वसंत पंचमी के दिन इस तरह पूजन करने से सदैव बनी रहेगी माँ सरस्वती की कृपा

0
माँ सरस्वती के पूजन का दिवस है वसंत पंचमी। देश भर में धूमधाम से मनाये जाने वाले इस पर्व से ही वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। इस पर्व से जुड़ी खास बात यह है कि वसंत पंचमी का उत्सव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और पश्चिमोत्तर बांग्लादेश समेत कई देशों में मनाया जाता है।
इस दिन सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों व गुरुकुलों में माँ सरस्वती का पूजन किया जाता है। जैसे विजयादशमी के दिन सैनिक अपने शस्त्रों का, व्यास पूर्णिमा के दिन विद्वान अपनी पुस्तकों का और दीपावली के दिन व्यापारी अपने बही खातों का पूजन करते हैं उसी प्रकार कलाकार इस दिन अपने वाद्य यंत्रों का पूजन करते हैं और माँ सरस्वती की वंदना करते हैं।

 

  • वसंत पंचमी पूजन
वसंत पंचमी के दिन विष्णु पूजन का भी विशेष महत्व है। इसी दिन कामदेव के साथ रति का भी पूजन होता है। भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता हैं। इसीलिए ब्रज प्रदेश में आज के दिन राधा तथा कृष्ण के आनंद विनोद की लीलाएं बड़ी धूमधाम से मनाई जाती हैं। इस दिन सरस्वती पूजन से पूर्व विधिपूर्वक कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा महादेव की पूजा करनी चाहिए। वसंत पंचमी पर्व पर पीले वस्त्र पहने जाते हैं और हल्दी से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन हल्दी का ही तिलक लगाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन घरों में पीले रंग के ही पकवान बनाए जाते हैं। पीला रंग इस बात का द्योतक होता है कि फसलें पकने वाली हैं और समृद्धि द्वार पर खड़ी है। पूजन के समय माँ सरस्वती को पीली वस्तुओं का ही भोग लगाएँ, पीले फूल चढ़ाएँ और घी का दीपक जलाकर आरती करें।
  • वसंत पंचमी से जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ
वसंत पंचमी के दिन मनुष्यों को वाणी की शक्ति मिली थी जिसके बारे में कहा जाता है कि परमपिता ने सृष्टि का कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का। इस जल से हाथ में वीणा धारण किए जो शक्ति प्रगट हुईं, वह सरस्वती कहलाईं। उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द और वाणी मिल गई। वसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। इस दिन घरों में भी देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन से बच्चों को विद्यारंभ कराना शुभ माना जाता है।
  • वसंत पंचमी का सामाजिक महत्व
वसंत पंचमी के दिन से ही होली की तैयारी भी शुरू हो जाती है। उत्तर प्रदेश में इसी दिन से फाग उड़ाना प्रारम्भ करते हैं जिसका क्रम फाल्गुन की पूर्णिमा तक चलता है। वसंत पंचमी की तिथि विवाह मुहूर्तों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस शुभ दिन का इंतजार विवाह करने वाले लोगों को साल भर से रहता है। इस पर्व पर सभी प्रकार के मांगलिक कार्य करना बेहद शुभ माना जाता है।
  • वसंत की छटा ही निराली है
वसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य निखर उठता है। इस दिन से धार्मिक, प्राकृतिक और सामाजिक जीवन में भी बदलाव आने लगता है। वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों चमकने लगता है, जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं और इधर उधर रंगबिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं। इस पर्व को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। पक्षियों के कलरव, भौरों का गुंजार तथा पुष्पों की मादकता से युक्त वातावरण वसंत ऋतु की अपनी विशेषता है।

 

वसंत पंचमी के दिन श्रद्धालु गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के बाद मां सरस्वती की आराधना करते हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में तो श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ रहती है। इस पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा और संगम के तट पर पूजा अर्चना करने आते हैं। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड व अन्य राज्यों से श्रद्धालु हिमाचल प्रदेश के तात्पानी में एकत्रित होते हैं और वहां गर्म झरनों में पवित्र स्नान करते हैं।
-शुभा दुबे
आकाश भगत

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *