चमोली आपदा में मौत को छू कर वापस आए विक्रम चौहान

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चमोली आपदा में मौत को छू कर वापस आए विक्रम चौहान, कहा- प्रकृति ने दिया मुझे जीवनदान
उत्तराखंड : 7 फरवरी का वो काला दिन जब उत्तराखंड के चमोली जिले में आए प्राकृतिक आपदा ने सबको हिला कर रख दिया। इस हादसे से अब तक कोई उभर नहीं पाया है। कई लोग इस आपदे में लापता हो गए है तो किसी को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ी।
बता दें कि पानी का बहाव तेज होने के कारण कई लोग बह भी गए तो किसी ने इस खतरनाक मंजर का सामने से सामना भी किया। इन्हीं में से एक हैं विक्रम चौहान जिनको खुद कुदरत ने नया जीवन दान दिया है। वह उन लोगों में से जिन्होंने इस भीषण आपदा को बेहद करीब से देखा और मौत को छूकर वापस आए।
टीओआई की एक खबर के मुताबिक, विक्रम सिंह 30 मिनट तक ठंडे ग्लेशियर में जमा देने वाली पानी में पेड़ को पकड़े रहे और सामने से तबाही का मंजर देखा। पानी इतना ठंडा था कि उनका शरीर काम करना बंद कर चुका था।

 

विक्रम मानते हैं कि Nature के कारण ही आज वह जिवित है। चमोली आपदा में जिवित बचने वाले विक्रम ने कहा कि, “मेरा काम हमेशा पहाड़ों को काटना है। मैंने कभी प्रकृति का संरक्षण नहीं किया। लेकिन आज, मैं आभारी हूं कि प्रकृति एक पेड़ के रूप में मेरे बचाव में आई”। 49 वर्षीय खुदाई ऑपरेटर, विक्रम चौहान का अब प्रकृति के प्रति एक अलग दृष्टिकोण है। उन्होंने टीओआई से कहा कि, “मैंने पेड़ों का सम्मान किया क्योंकि उन्होंने हमें ऑक्सीजन दिया, इससे ज्यादा कुछ नहीं। लेकिन इस घटना ने मुझे एक सबक सिखाया है कि अगर प्रकृति के खत्म करने की शक्ति हैं तो इसे बचाने की भी शक्ति हैं”।
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आकाश भगत

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