उत्तराखंड बाढ़: जिंदा बचे लोगों ने तबाही के मंजर की सुनाई दास्तां

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जोशीमठ : उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आई भीषण बाढ़ के दौरान तपोवन में एक भूमिगत सुरंग में फंसे लोगों ने बताया कि उन्होंने जीवित बचने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन इसी दौरान उनमें से एक व्यक्ति ने देखा कि उसका मोबाइल फोन काम कर रहा है। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों से संपर्क कर मदद मांगी, जिन्होंने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला।

 

 

 

इस घटना में बचाए गए तपोवन बिजली परियोजना में कार्यरत लाल बहादुर ने कहा कि हमने लोगों की आवाजें सुनीं जो चिल्लाकर हमे सुरंग से बाहर आने के लिये कह रहे थे, लेकिन इससे पहले कि हम कुछ कर पाते पानी और कीचड़ की जोरदार लहर अचानक हम पर टूट पड़ी।

 

उन्होंने कहा कि भारत-तिब्बत सीमा बल (आईटीबीपी) ने उन्हें और उनके 11 साथियों को रविवार शाम उत्तराखंड के चमोली जिले की एक भूमिगत सुरंग से बचा लिया। अधिकारियों के अनुसार वे सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक करीब सात घंटे तक वहीं फंसे थे। आईटीबीपी ने अपने अभियान से संबंधित वीडियो मीडिया के साथ साझा कियेहैं। अधिकारियों ने कहा किजोशीमठ मेंघटनास्थल से लगभग 25 किलोमीटर दूर आईटीबीपी के अस्पताल मेंउनका इलाज चल रहा है। यह आईटीबीपी की बटालियन संख्या एक का बेस भी है।

 

 

 

आईटीबीपी के अनुसार चमोली जिले के ऊपरी इलाकों में बाढ़ आने के बाद से 11 शव बरामद किए गए हैं जबकि 202 लोग अभी भी लापता हैं। नेपाल के निवासी बसंत ने कहा, हम सुरंग में 300 मीटर अंदर थे, जब पानी का तेज बहाव आया। चमोली के ढाक गांव से संबंध रखने वाले तथा तपोवन परियोना में कार्यरत एक और श्रमिक ने बताया कि वे बस किसी तरह सुरंग के बाहर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे।

 

 

अस्पताल में भर्ती एक व्यक्ति ने बताया कि हमने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन फिर हमें कुछ रोशनी दिखी और सांस लेने के लिये हवा मिली…अचानक हम में से एक व्यक्ति ने देखा की उसके मोबाइल के नेटवर्क आ रहे हैं उसने महाप्रबंधक को फोन कर हमारी स्थिति के बारे में बताया। अधिकारियों ने कहा कि परियोजना के महाप्रबंधक ने स्थानीय अधिकारियों को इसकी जानकारी दी, जिन्होंने आईटीबीपी से उन्हें बचाने का अनुरोध किया। सुरंग से सकुशल निकाले गए जोशीमठ निवासी विनोद सिंह पवार ने आईटीबीपी का आभार व्यक्त किया।

आकाश भगत

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