विशेषज्ञों की सलाह मृत पक्षियों से दूर रहना ही बेहतर, कोरोना के समान सावधानी बरतने की सलाह

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प्रदेश में पक्षियों की लगातार हो रही मौतों के बाद वन विभाग ने अलर्ट जारी कर सावधान रहने को कह अपना कर्तव्य निभा दिया, लेकिन अभी तक किसी स्थान पर कंट्रोल रूम तक स्थापित नहीं किया। ऐसे में लोग असमंजस में है कि मृत पक्षियों के बारे में सूचना किससे सांझा करे। एवियन इनफ्लुएंजा को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि मृत पक्षियों के मामले में लोगों को कोरोना के समान ही सावधानी बरतनी चाहिये, ताकि ये उनमें नहीं फैले। इस मामले में भी सावधानी ही सुरक्षा है।

 

वन्यजीव विशेषज्ञ व महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगाणी का कहना है कि हमें सतर्क रहते हुए पक्षियों पर निगरानी रखने की आवश्यकता है। सभी प्रकृति, वन्य जीव, पक्षी प्रेमियों और स्वयं सेवी संगठन अपने-अपने क्षेत्रों में यह भूमिका बखूबी निभा सकते है। कोई भी घायल या मृत स्थानीय या प्रवासी पक्षी आपके आस पास के इलाकों जैसे संरक्षित क्षेत्र, नाड़ी, तालाब, ओरण, गोचर , मृत मवेशी स्थल आदि पर पाया जाए तो तुरन्त वन विभाग, पशु चिकित्सालय के अधिकारियों, कर्मचारियों को सूचित करें। बिना सुरक्षा उपकरणों के खुद सीधा सीधा हस्तक्षेप ना करें।

 

प्रो. छंगाणी का कहना है कि विभाग ने अलर्ट तो जारी कर दिया, लेकिन लोगों को यह नहीं बताया कि सूचना कहां पर और किसे देनी है। तहसील स्तर तक वन विभाग के कार्यालय है। विभाग चाहे तो जिला स्तर पर ही एक कंट्रोल रूम खोल उसके नंबर लोगों तक पहुंचा सकता है। ताकि लोग समय पर इसके बारे में जानकारी दे सके।

 

वहीं वैटनरी कॉलेज के रिटायर्ड प्रो. अनिल कटारिया का कहना है कि मृत पक्षियों की ठीक से जांच कर किसी निष्कर्ष तक पहुंचना चाहिये। उनका कहना है कि यदि एवियन इनफ्लुएंजा होता तो सबसे पहले इसका प्रभाव मुर्गियों में नजर आता। लेकिन ऐसा फिलहाल नहीं हुआ है। एवियन इनफ्लुएंजा के अपने लक्षण होते है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से इसका पता लगाया जा सकता है। ज्यादा संभावना तो यह नजर आ रही है कि कोल्ड शॉक के कारण इन पक्षियों की जान जा रही है।

 

पक्षियों से मनुष्य में फैलने का खतरा कितना

दोनों विशेषज्ञ इस बात से सहमत है कि एवियन इनफ्लुएंजा पक्षियों के माध्यम से मनुष्य में भी फैल सकता है। लेकिन अभी यह तय नहीं है कि यह कितना घातक वायरस है। एवियन इनफ्लुएंजा भी कई प्रकार का होता है। इसके कुछेक प्रकार ही घातक प्रकृति के होते है। ऐसे में पहले पूरी पड़ताल कर वास्तुस्थिति लोगों के सामने स्पष्ट होनी चाहिये। ताकि उनमें इसे लेकर किसी प्रकार की घबराहट का माहौल न बने।

 

निस्तारण में बरते सावधानी

प्रो. कटारिया का कहना है कि कोरोना के कारण आमजन पहले से ही काफी एहतियात बरत रहा है। मृत पक्षियों के निस्तारण के मामले में भी ऐसी ही सावधानी बरतने की आवश्यकता है। मृत पक्षी देखने पर उसके निकट न जाकर पहले वन विभाग को सूचना दे। यदि सुनवाई नहीं हो रही है तो एक गड्‌ढ़ा खोदकर अपने चेहरे व हाथ को अच्छी तरह से ढंकने के बाद किसी लकड़ी की मदद से मृत पक्षी को उसमें डाल दफन कर दे। मृत पक्षी को खुले में पड़ा नहीं रहने दे। इससे संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है।

 

सांभर में मर गए थे हजारों पक्षी

वर्ष 2019 में सांभर झील में पचास हजार से अधिक पक्षी मारे गए थे। बाद में पता चला था कि इनकी मौत बोटुलिनम बैक्टीरिया से फ़ैलने वाली बीमारी बोटुलिज्म (एक प्रकार के जहर) के कारण हुई। बोटुलिनम अशक्त करने वाली एक बीमारी है, जो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया से फैलता है।

आकाश भगत

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