किसान बिल के विरोध में 8 दिसंबर को भारत बंद के दौरान ट्रेनें रोकेंगे, सड़क जाम करेंगे

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किसान बिल के विरोध में 8 दिसंबर को भारत बंद के दौरान ट्रेनें रोकेंगे, सड़क जाम करेंगे

 

5 दिसंबर को बिहार में भाकपा माले की ओर से चक्का जाम का बहुत ज्यादा असर सड़कों पर देखने को नहीं मिला। अब तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 8 दिसबंर को भारत बंद का आह्वान किया है। इस बंद को सीपीआई, सीपीआईएम, भाकपा माले ने भी समर्थन का एलान किया है। वहीं, कांग्रेस भी इस बंद के समर्थन में उतर आई है।

 

लेफ्ट नेताओं का आरोप है कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने पिछले 15 वर्षों में इस बात की चिंता नहीं की कि किसानों को फसलों का सही मूल्य मिल सके। यहां 2006 से ही मंडियों को खत्म कर दिया गया। इससे किसानों की परेशानी पढ़ी। भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल कहते हैं कि 5 तारीख का चक्का जाम प्रतीकात्मक था। हालांकि इसका असर मध्य बिहार, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय जैसे इलाकों में रहा। लेकिन 8 दिसंबर का भारत बंद व्यापक होगा। बिहार में जहां मौका मिलेगा वहां ट्रेन भी रोकेंगे और पहिया भी जाम करेंगे। देश के 250 किसान संगठनों ने बंद का आह्वान किया है। इसमें अन्य 250 किसान संगठन भी साथ आ रहे हैं। यानी लगभग 500 किसान संगठनों की ओर से बंद है। इन संगठनों के समर्थन में पांच वाम दल भी उतरेंगे। किसान संगठन ने सभी पार्टियों से बंद में सहयोग करने की अपील की है।

 

8 दिसंबर के भारत बंद को राजद का भी समर्थन है। राजद नेता तेजस्वी यादव सहित कई नेताओं पर एफआईआर किए जाने से गुस्से में हैं। इसलिए भी राजद इस बंद में अपनी पूरी ताकत झोंकेगा। राजद के प्रदेश महासचिव निराला यादव कहते हैं कि भारत बंद को राजद का भरपूर समर्थन रहेगा। इसकी तैयारी संगठन स्तर पर की जा रही है। केंद्र और राज्य की किसान विरोधी सरकार के खिलाफ यह आंदोलन है और इसमें आम लोगों को सहयोग करना चाहिए।

 

उधर, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तारिक अनवर ने कहा कि किसानों के लिए कानून बनाने से पहले मोदी सरकार ने किसानों का विश्वास नहीं जीता। नतीजा किसान सड़क पर उतर रहे हैं। विपक्ष की आवाज नहीं सुनी गई। और इस कानून को पहले स्टैंडिंग कमिटी में नहीं ले जाया गया। तारिक अनवर ने स्वीकार किया की बिहार में कांग्रेस आंदोलन को सही से गति देने में कामयाब नहीं हुई। कृषि कानून पर उन्होंने कहा कि कृषि व्यवस्था को कारपोरेट को सौंपने की तैयारी है। हद यह कि किसान न्यायालय भी नहीं जा सकेंगे। यह अलोकतांत्रिक कानून है।

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आकाश भगत

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