देहरादून :उत्तराखंड के चमोली जिले में तपोवन परियोजना की सुरंग के अंदर भारी गाद होने के कारण वहां फंसे 30-35 लोगों को बचाने की मुहिम की गति मंगलवार को कुछ धीमी हो गई जबकि अभी तक आपदा में लापता 32 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। वहीं, 174 अन्य अभी लापता हैं। एनटीपीसी के 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की इस घुमावदार सुरंग में बचाव कार्य उस समय धीमा पड़ गया, जब अंदर से भारी मात्रा में गाद निकलने लगी और आगे जाना मुश्किल हो गया। बचाव अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि सुरंग का डिजाइन जटिल है, जिसे समझने के लिए एनटीपीसी के अधिकारियों से संपर्क साधा गया है।
वहीं, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि सुरंग में फंसे लोगों का जीवन बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास करेंगे। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एक विशेष कैमरे से सुरंग में फंसे लोगों का पता लगाने का प्रयास भी किया जाएगा।
रविवार को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ के बाद से सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के जवान लगातार बचाव और राहत अभियान में जुटे हुए हैं।
देहरादून में राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली ताजा जानकारी के अनुसार, आपदा ग्रस्त क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों से अब तक कुल 32 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 174 अन्य लापता हैं। एसडीआरएफ ने कहा कि उनके तलाशी दस्ते रैंणी, तपोवन, जोशीमठ, रतूडा, गौचर, कर्णप्रयाग, रूद्रप्रयाग क्षेत्रों में अलकनंदा नदी में लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं। इससे पहले, सोमवार रात जोशीमठ में प्रवास करने के बाद मुख्यमंत्री रावत ने मंगलवार सुबह क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और हादसे में घायल हुए लोगों से आईटीबीपी के जोशीमठ अस्पताल में मुलाकात कर उनका हालचाल जाना। ऋषिगंगा और तपोवन बिजली परियोजनाओं में काम करने वाले और आसपास रहने वाले करीब आधा दर्जन लोग आपदा में घायल हुए हैं।