3 नाबालिकों को काम देने के नाम पर भेजा चेन्नई, बनाया बंधक
- परिजनों ने लगाई मदद की गुहार
झारखण्ड/दुमका, शिकारीपाड़ा : लॉकडाउन घोषित होने पर झारखण्ड के मजदूरों को वापस अपने घर बुलाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जी जान लगा दी थी और उनका यह कृतित्व पूरे देश में सुर्खियों में रहा था।
मजदूरों के वापस आने के बाद भी झारखण्ड सरकार ने प्रवासी मजदूरों को अपने घर के आस-पास काम देने के लिए भी बहुत सारी योजनाएं चलाई और जब सीमा सड़क संगठन को मजदूरों की जरूरत हुई तो झारखण्ड में सरकारी स्तर पर रजिस्ट्रेशन कर के मजदूरों को भेजा गया ताकि बिचौलिया और मेट मजदूरों का गलत फायदा ना उठा सके।
परंतु आज भी इस क्षेत्र में बिचौलियों का दबदबा है और बिचौलिया और मैट साम दाम दंड भेद की नीति लगाकर मजदूरों को सब्जबाग दिखाकर बाहर प्रदेशों में ले जा रहे हैं । जहां उनका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
ताजा उदाहरण शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के शहरपुर गांव का है। जहां से तीन नाबालिग लड़कों सरफुद्दीन अंसारी, हसमुद्दीन अंसारी और रफीकुल अंसारी को पाकुरिया थाना क्षेत्र के ढेंकीडूबा गांव के रहने वाले बिचौलिया अकबर मियां ने बहला-फुसलाकर 17 सितंबर को अपने साथ चेन्नई ले गया। जहां उन्हें एक फैक्ट्री में काम दिया गया। लड़कों ने अपने परिजनों से मोबाइल पर बातचीत करते हुए कहा कि यहां फैक्ट्री में उन्हें ढंग का खाना पीना भी नहीं दिया जा रहा है और ना ही कोई सहूलियत दी जा रही है और वापस जाने के लिए पैसे भी नहीं है।
बाद में उन लड़कों का मोबाइल भी जब्त कर लिया गया है। परिजनों ने जब अकबर मियां और मोनिका हेंब्रोम (मेट) से बात की तो उन्होंने बच्चों को वापस लाने के लिए रुपए का मांग किया। इन लड़कों के गरीब परिजनों ने किसी तरह पैसे जुटाकर ₹4000 अकबर मियां के बैंक खाते में भेज दिया । परंतु रुपए भेजने के बाद भी ना तो यह बिचौलिया लड़कों को ला रहा है और ना ही कुछ स्पष्ट कह रहा है जिससे लड़कों के परिजन हलकान हैं और उन्होंने शिकारीपाड़ा थाना में आवेदन देकर अपने बच्चों को वापस लाने की गुहार लगाई है। बताते चलें कि तीनों ही लड़के नाबालिग हैं।