बीजेपी के ‘आउटसाइडर’ वाले दांव पर चौकन्नी हुईं ममता, गैर-बंगालियों से कर रहीं हिंदी में संवाद

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बीजेपी ने दीदी का किला गिराने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है सूबे में बंगाली बनाम बाहरी की जंग भी तेज़ होती जा रही है। वैसे तो ममता दीदी का बीजेपी और उसके नेताओं पर बाहरी होने का आरोप लगाना आम है। लेकिन यह दांव कहीं ममता दीदी पर ही उल्टा न पड़ जाए, इस बात का डर अब उन्हें सताने लगा है। बीजेपी की पुरानी शैली को देखें तो खुद पर हुए हमले को ही सीढ़ी बनाकर मंजिल तक पहुंचने की कला में उसे महारत हासिल है। चाहे वो प्रधानमंत्री मोदी पर विपक्षियों के निजी हमले रहे हो या देशनीति के तहत सरकार के उठाये गए कदम पर सवाल।

 

 

ममता दीदी का बाहरी मुद्दा को बीजेपी कहीं गैर बंगाली वोटर्स को गोलबंद करने में न कर ले, इसलिए मौके की नज़ाकत को भांपते हुए तृणमूल कांग्रेस सजग हो गयी है और गैर बंगाली मतदाताओं को भी साधने में लग गयी है। जिसका नज़ारा तृणमूल हिंदी भाषी सेल के बैनर तले कोलकाता में बुलाई गयी बैठक में दिखाई पड़ा। जिसमें ममता बनर्जी यह कहती सुनाई दीं कि आज तक मैंने हिंदी भाषियों को कोई तकलीफ नहीं होने दी। बीजेपी पर निशाना साधते हुए ममता दीदी ने कहा की मैं इंसानियत के लिए काम करती हूं लेकिन बीजेपी बर्बादी के लिए कार्य करती है। वह मुझे क्या हिंदी सिखाएंगे मैं उन्हें कान पकड़ कर हिंदी सिखाऊंगी।

 

 

ममता बनर्जी ने आगे कहा कि जो लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान से आए हैं, क्या उन्हें कोई समस्या है? चाहे टाटा हो या बिड़ला हमें कोई समस्या नहीं है। बिना पीएम मोदी का नाम लिए ममता दीदी ने प्रधानमंत्री मोदी पर इशारों-इशारों में निशाना साधते हुए कहा कि मैं टेलीप्राॅम्प्टर देख कर नहीं पढ़ती, मैं हिंदी पढ़ सकती हूं। इस दौरान ममता बनर्जी ने मंच से हिंदी पढ़कर भी सुनाई। उन्होंने पुरानी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि दंगे के दौरान मैं पंजाब में घर-घर गई और गुरुद्वारा भी गई, हलवा भी खाया। ममता बनर्जी ने पूर्वांचल के लोगों को साधते हुए कहा कि मैं बिहारियों से ज्यादा ठेकुआ खाती हूं। मेरे सुरक्षा गार्ड और ड्राइवर मुझे खिलाते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि आप बंगालियों से ज्यादा हमें वोट दें ताकि हम आने वाले दिनों में आगे और कुछ कर सके।
गौरतलब है कि बंगाल में गैर बंगाली वोटरों की संख्या 15 प्रतिशत के करीब बताई जाती है। वहीं राजधानी कोलकाता में गैर बंगाली मतदाता कुल आबादी का आधा प्रतिशत की भागीदारी रखते हैं।
आकाश भगत

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