Ashadha Gupt Navratri 2025: 26 जून से प्रारंभ होंगे आषाढ़ गुप्त नवरात्रि

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हिंदू पंचांग के अनुसार पहली गुप्त नवरात्रि आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाई जाती है। इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून से प्रारंभ हो रही है। इस गुप्त नवरात्री के अवसर पर 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। यह समय महाकाली एवं भगवान शिव यानी कि शाक्त और शैव की पूजा करने वालों के लिए विशेष माना जाता है। तंत्र साधक इस दौरान विशेष साधनाएं करते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि इस साल 26 जून से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और 4 जुलाई को समापन होगा। इन नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की पूजा करने का विशेष विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस दौरान तंत्र विद्या का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इसी कारण गुप्त नवरात्रि का पर्व हर कोई नहीं मनाता है। इस समय की गई साधना जन्मकुंडली के समस्त दोषों को दूर करने वाली तथा चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और कोक्ष को देने वाली होती है। इसका सबसे महत्वपूर्ण समय मध्य रात्रि से सूर्योदय तक अधिक प्रभावशाली बताया गया है। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को भी गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं। 
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि का पावन त्योहार आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल भर में कुल चार नवरात्रि आते हैं। जिसमें से दो चैत्र व शारदीय और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। आषाढ़ मास में पड़ने वाले नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धुम्रावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। 

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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि  तिथि
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार गुरुवार 25 जून को शाम 04 बजे  से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 26 जून से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी। वहीं, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का समापन 26 जून को दोपहर 01:24 मिनट पर होगा। 
 
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभः बुधवार, 25 जून 2025 को शाम 04:00 बजे
प्रतिपदा तिथि समापनः गुरुवार 26 जून 2025 को दोपहर 01:24 बजे
उदया तिथि में आषाढ़ गुप्त नवरात्रिः गुरुवार, 26 जून 2025
आषाढ़ नवरात्रि घट स्थापना 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना यानी मां के आवाहन से ही नवरात्रि का अनुष्ठान शुरू होता है। इस साल घट स्थापना का शुभ मुहूर्त द्वि स्वभाव वाले मिथुन लग्न के दौरान है। 
मिथुन लग्न प्रारंभः 26 जून 2025 को सुबह 04:33 बजे
मिथुन लग्न समापनः 26 जून 2025 को सुबह 06:05 बजे तक
कलश स्थापना मुहूर्तः सुबह 4.33 बजे से 6.05 बजे तक (कुल 1 घंटा 32 मिनट की अवधि)
घटस्थापना अभिजित मुहूर्तः सुबह 10:58 बजे से 11:53 बजे तक
अवधिः 00 घण्टे 55 मिनट
शुभ योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुप्त नवरात्र के पहले दिन यानी घटस्थापना तिथि पर ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होगा।
ध्रुव योगः रात 11:40 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः सुबह 08:46 बजे से 27 जून को सुबह 05:35 बजे तक
10 महाविद्याओं की साधना 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ दस महाविद्या की भी पूजा की जाती है। 
मां काली मां तारा मां त्रिपुर सुंदरी मां भुवनेश्वरी मां छिन्नमस्ता मां त्रिपुर भैरवी मां धूमावती मां बगलामुखी मां मातंगी मां कमला
गुप्त नवरात्रि की तिथियां
प्रतिपदा तिथि- घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा
द्वितीया तिथि – मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तृतीया तिथि – मां चंद्रघंटा की पूजा
चतुर्थी तिथि – मां कूष्मांडा की पूजा
पंचमी तिथि – मां स्कंदमाता की पूजा
षष्ठी तिथि – मां कात्यायनी की पूजा
सप्तमी तिथि – मां कालरात्रि की पूजा
अष्टमी तिथि – मां महागौरी की पूजा
नवमी तिथि – मां सिद्धिदात्री की पूजा
दशमी- नवरात्रि का पारण
गुप्त नवरात्रि में करते हैं विशेष साधना
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि का तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना के लिए विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है।  इस नवरात्रि में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक
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