मान्‍यता के नियमों में बदलाव से मुश्‍किल में स्‍कूल संचालक

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  • स्‍कूल बंद कर निकाली मौन रैली

स्‍कूलों की मान्‍यता को लेकर नियमों में शासन द्वारा किए गए बदलाव से नाराज स्‍कूल संचालकों ने महू में रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान स्‍कूल संचालकों ने स्‍कूल बंद रखे और मान्‍यता के नियमों में बदलाव से होने वाली परेशानी के बारे में शासन को अवगत कराया। शिक्षकों ने मप्र शासन और शिक्षामंत्री से मांग की कि स्‍कूल की मान्‍यताओं के नियमों में किसी तरह का बदलाव न करें।

अशासकीय शिक्षण संस्था संघ के अध्‍यक्ष रोशनसिंह शेखावत ने प्रेस विज्ञप्‍ति में बताया कि इस वर्ष मान्यता नियमों में शिक्षा विभाग ने अचानक कई तरह के बदलाव किए हैं। इन परिवर्तनों को हजारों छोटे शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालय पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उन्‍हें कई तरह की दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्‍होंने बताया कि इससे शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार भी चरम पर पहुंच जाएगा। इन तमाम बातों को लेकर मध्यप्रदेश अशासकीय शिक्षण संस्था के आव्हान पर पूरे प्रदेश में 30 जनवरी को शिक्षण संस्थाओं में अवकाश रखा गया।

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100 संचालकों ने निकाली मौन रैली: महू में भी सभी अशासकीय शिक्षण संस्थाएं बन्द रहीं और दोपहर 12:00 बजे लगभग 100 संचालकों ने मौन रैली निकाली। जो ड्रीमलैंड से होकर में मैनस्ट्रीट होते हुए गांधी प्रतिमा तक पहुंचकर सभा में परिवर्तित हुई। सभा को सर्वश्री रामलाल प्रजापति, रोशन सिंह शेखावत, राजेंद्र पाटील आदि ने संबोधित करते हुए शासन से मांग की कि हम महात्मा गांधी के चरणों में यह ज्ञापन रखते हैं और मध्य प्रदेश शासन से मांग करते हैं कि शासन मान्यता नियमों में सरलीकरण करें या मान्यता नियमों को पूर्वानुसार ही रखें। जिससे संस्थाएं मान्यता का कार्य पूर्ण कर सकें।

 

शिक्षण संस्‍थाओं पर बढ रहा खर्च : उन्‍होंने बताया कि नियमों में बदलाव की वजह से हर संस्था को लगभग 70 से 75 हजार  का खर्चा आ रहा है। जिसमें 30 हजार की एफडी, 12 हजार मान्यता शुल्क व रजिस्टर्ड किराया में लगभग 40-45 हजार खर्च होना हैं। इससे छोटे स्कूलों में 100 या 150 विद्यार्थी हैं और जहां नाम मात्र की फीस ली जाती है।

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प्रदेश में 30 हजार प्राइवेट स्‍कूल : बता दें कि इस वक्‍त मध्यप्रदेश में लगभग 30 हजार प्राइवेट स्कूल हैं। जिसमें लगभग 6 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं। इन स्‍कूलों करीब 2 लाख अध्यापक -अध्यापिकाएं अध्यापन करा रहे हैं। विशेष बात यह है कि इन अशासकीय विद्यालय का कक्षा पांचवी, आठवीं, 10वी, 12वी, बोर्ड का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत या 90 प्रतिशत से ऊपर ही रहता है। इन विद्यालयों में अनेक विद्यालय ऐसे हैं, जो लगभग 2 हजार से 5 हजार की आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यापन कार्य कर रहे हैं।

 

 

इस दौरान आर्य रामलाल प्रजापति, संरक्षक अशासकीय शिक्षण संस्था संघ, रोशनसिंह शेखावत अध्यक्ष, राजेंद्र पाटिल सचिव, अशासकीय शिक्षण संस्था संघ महू आदि उपस्‍थित थे।

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