Rama Ekadashi 2023: रमा एकादशी व्रत से मिलते हैं सभी सांसारिक सुख

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आज रमा एकादशी व्रत है, दीवाली से कुछ दिन पहले आने के कारण यह एकादशी बहुत खास होती है, तो आइए हम आपको रमा एकादशी की महिमा के विषय में अवगत कराते हैं। 
जानें रमा एकादशी के बारे में
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाए जाने वाली एकादशी रमा एकादशी कहा जाता है। भगवना विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है इसलिए इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस साल यह एकादशी 24 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन विष्णु के पूर्णावतार केशव रूप की भी अर्चना की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं होता है। रमा एकादशी का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। 
रमा एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा
रमा एकादशी के विषय में एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार मुचुकुंद नाम का एक राजा था वह विष्णु का अनन्य भक्त था। उसकी बेटी का जन्म चंद्रभागा था। विवाह योग्य होने पर उसके पिता ने पुत्री का विवाह चंद्रसेन के बेटे सोभन से कर दिया। सोभन शारीरिक रूप से कमजोर था। चंद्रभागा एकादशी में विश्वास रखती थी और वह एकादशी का व्रत अवश्य करती थी। एक बार सोभन ने एकादशी का व्रत किया तथा भूख-प्यास के कारण उसकी मृत्यु हो गयी। चंद्रभागा ने उसके शरीर को जल में प्रभावित कर दिया और उसके बाद रमा एकादशी का व्रत करने लगी। व्रत के प्रभाव से सोभन को नदी से बाहर निकाल लिया गया और वह जीवित हो उठा। उसके बाद मंदराचल पर्वत पर मौजूद एक राज्य का राजा बन गया। इसी बीच मुचुकुंद नगर का एक ब्राह्मण सोभन से मिला। सोभन ने बताया कि इस राज्य के अस्थिर होने कारण वह बाहर जाकर अपनी पत्नी से नहीं मिल सकता है। इस पर चंद्रभागा ने एकादशी व्रत केदौरान प्रार्थना की और विष्णु की कृपा से दिव्य शरीर धारण अपने पति के राज्य में पहुंच गयी। वहां पहुंच कर जैसे ही चंद्रभागा पति के साथ सिंहासन पर बैठी नगर स्थिर हो गया। इस तर रमा एकादशी व्रत के प्रभाव उनका जीवन सुखमय हो गया।

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रमा एकादशी व्रत का महत्व 
रमा एकादशी व्रत अन्य दिनों की तुलना में हजारों गुना अधिक फल दायी है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। मा एकादशी पर पूजा के लिए संध्या काल में दीपदान करने से देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और इससे सुख-समृद्धि, धन में वृद्धि होती है और समस्त बिगड़े काम बन जाते हैं। देवी तुलसी लक्ष्मी स्वरूपा है अतः इस दिन तुलसी पूजन बहुत पुण्यदायी है। शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य साल भर आने वाली एकादशी तिथि के व्रत धारण नहीं कर पाता है वो महज इस एकादशी का व्रत रखने से ही जीवन की दुर्बलता और पापों से मुक्ति पाकर सुखमय जीवन जीने लगता हैं। पद्म पुराण में उल्लेख है कि जो फल कामधेनु और चिन्तामणि से प्राप्त होता है उसके समतुल्य फल रमा एकादशी के व्रत रखने से प्राप्त हो जाता हैं। सभी पापों का नाश करने वाली और कर्मों का फल देने वाली रमा एकादशी का व्रत रखने से धन धान्य की कमी भी दूर हो जाती हैं। रमा एकादशी पर लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
रमा व्रत का शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार, रमा एकादशी व्रत 9 नवंबर को रखा जाएगा, जो सुबह 8.23 मिनट पर शुरू होगा और 9 नवंबर को सुबह 10.41 मिनट पर समाप्त होगी। पंचांग के मुताबिक, उदया तिथि में होने के कारण रमा एकादशी का व्रत 9 नवंबर को रखा जाएगा। पारण का समय 10 नवंबर को सुबह 6.39 मिनट से लेकर 8.50 मिनट के बीच होगा।
रमा एकादशी 2023 शुभ योग 
कलात्मक योग
रमा एकादशी पर गुरुवार का संयोग है जो श्रीहरि को प्रिय है
तुला राशि में सूर्य-मंगल की युति से व्यक्ति के कार्य संपन्न होंगे, सफलता मिलेगी.
रमा एकादशी पर ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार रमा एकादशी बहुत खास होती है, रमा एकादशी के दिन विष्णु भगवान के प्रति श्रद्धा रखें। प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद विधिवत विष्णु भगवान की पूजा करें। साथ ही विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की अर्चना करना न भूलें। भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं और ध्यान रखें कि इस प्रसाद को भक्तों में वितरित करें। उसके बाद दिन में गीता का पाठ करें तथा सायं का विष्णु भगवान के सामने जाप करें। 
रमा पर करें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की करें पूजा
रमा एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद गंगा जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। विधि-विधान के साथ पूजा करने के बाद भगवान विष्णु को धूप, दीप, पुष्प इत्यादि अर्पित करें और रमा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ ही मां लक्ष्मी की भी पूरे विधि पूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन लक्ष्मी-नारायण का ध्यान करना बेहद शुभ और फलदाई माना गया है।
रमा एकादशी व्रत के दिन करें इन नियमों का पालन 
पंडितों के अनुसार रमा एकादशी के दिन किसी भी वृक्ष से पत्ते न तोड़ें। इस एकादशी के दिन बाल न कटवाएं, न ही नाखून काटें। किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं। घर में झाड़ू न लगाएं. कहते हैं घर में झाड़ू लगाने से चीटियों या छोटे-छोटे जीवों के मरने का डर होता है और इस दिन जीव हत्या करना पाप होता है। इससे व्रत बाधित होता है। रमा एकादशी के दिन चावल, मासांहार भोजन, लहसुन प्याज युक्ति भोजन न बनाएं।
– प्रज्ञा पाण्डेय

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