कांग्रेस ने ज़ारी किया नया मेंबरशिप फॉर्म, देना होगा दस बिंदुओं पर सहमति

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  • अपनी ही पार्टी की आलोचना होने पर सावधान हुई मैडम

सार्वजनिक मंचों से अपनी ही पार्टी की आलोचना करने वाले जी-23 नेताओं से कांग्रेस सावधान हो गई है। जी 23 नेताओं (जी -23) के अपने समूह द्वारा कांग्रेस पार्टी की नीतियों को लेकर खुले मंच से की गई आलोचना के बाद अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता लेने की इच्छा रखने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं से सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना नहीं करने का वचन मांगा है।

 

 

 

 

कांग्रेस के नए मेंबरशिप फॉर्म में “मैं धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए सदस्यता लेता हूं। मैं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से, खुले तौर पर या अन्यथा, पार्टी मंचों के अलावा, पार्टी की स्वीकृत नीतियों और कार्यक्रमों की प्रतिकूल आलोचना नहीं करूंगा” जैसे दस बिंदुओं का उल्लेख किया गया है जिसमें एक शर्त ये भी है कि सदस्यता लेने वाले व्यक्ति को हलफनामा देना होगा कि वह पार्टी की नीतियों व निर्णयों की आलोचना सार्वजनिक तौर पर नहीं करेगा। कांग्रेस पार्टी द्वारा ये कदम कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं जिन्हें जी-23 भी कहा जाता है द्वारा मीडिया से बातचीत के दौरान पार्टी की आलोचना करने और पार्टी के भीतर चुनाव की मांग करते हुए संगठनात्मक ढांचे पर लगातार सवाल उठाने के बाद लिया गया है।

 

 

 

  • जी-23 नेताओं ने की थी आलोचना

जी -23 के नेता कपिल सिब्बल ने सितंबर में कहा था कि पार्टी के नेता इस बात से अनजान हैं कि पार्टी में कौन निर्णय ले रहा है क्योंकि कोई अध्यक्ष नहीं है। उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है इसलिए हमें नहीं पता कि ये निर्णय कौन ले रहा है। हम जानते हैं और फिर भी हम नहीं जानते। गुलाम नबी आजाद ने भी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक की मांग की थी। जी-23 नेताओं ने सीडब्ल्यूसी सदस्यों, केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के सदस्यों और संसदीय बोर्ड चुनावों के लिए चुनाव की मांग की थी।

 

 

 

 

 

  • सोनिया ने किया था पलटवार

16 अक्टूबर को सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान सोनिया गांधी ने जी-23 नेताओं पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला किया था और कहा था कि मीडिया के माध्यम से उनसे बात करने की कोई आवश्यकता नहीं है और पार्टी के लोगों को उनसे सीधे बात करने का सुझाव दिया। एक तरह से, उन्होंने दिखाया कि पार्टी में उनकी स्थिति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता क्योंकि वह “पूर्णकालिक और व्यावहारिक” पार्टी प्रमुख हैं।

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आकाश भगत

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