हरसिमरत ने सरकार को बताया किसान विरोधी तो भगवंत मान ने कहा- कानूनों को वापस लेने के सिवा कोई विकल्प नहीं
नयी दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने मोर्चा खोल रखा है। इसी अब जंतर-मंतर पर किसान संसद लगाई जा रही है। किसान संसद ऐसे समय में लगाई जा रही है जब वहां से थोड़ी दूर पर स्थित संसद का मानसून सत्र चल रहा है। जहां पर विपक्षी पार्टियों ने किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों के प्रदर्शन और आंदोलन का पूर्ण रूप से समर्थन करती है। इस मुद्दे पर सदन में चर्चा हो, इसके लिए मैंने स्थगन प्रस्ताव को सदन के स्पीकर को दिया है।
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वहीं, आम आदमी पार्टी सांसद भगवंत मान ने कहा कि कृषि कानूनों के वापस लेने के सिवा और कोई विकल्प नहीं है। नरेंद्र सिंह तोमर बयान देते हैं कि हम किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार हैं, बस वे 3 कानूनों को वापस लेने की बात न करें। तो फिर और क्या बात करें ? जबकि शिरोमणि अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल ने सरकार को किसान विरोधी बताया।
उन्होंने कहा कि किसान पिछले 8 महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार कहती है कि किसान हमसे बात करें लेकिन क़ानून वापस नहीं होंगे। जब आप ने कृषि क़ानून वापस नहीं लेने है तो किसान आपसे क्या बात करेंगे। समाचान एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में विपक्षी नेताओं ने यह बात कही।
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क्या है सरकार का पक्ष ?
कृषि कानूनों के मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने किसानों से नए कृषि क़ानूनों के संदर्भ में बात की है। किसानों को कृषि कानूनों के जिस भी प्रावधान मे आपत्ति हैं वे हमें बताए, सरकार आज भी खुले मन से किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार है। गौरतलब है कि किसान संगठन पिछले साल नवम्बर से कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए।
Delhi: Shiromani Akali Dal (SAD) MPs protest over the three farm laws and show placards to Agriculture Minister Narendra Singh Tomar at the Parliament premises. pic.twitter.com/5E0ILvp0Tb
— ANI (@ANI) July 22, 2021