कोरोना की मार से छोटे निजी शिक्षण संस्थान पस्त, चुनाव मस्त
- छोटे निजी शिक्षण संस्थानों के अस्तित्व कर छाया गहरा संकट
- भुखमरी की कगार पर सभी आश्रित कर्मचारी
- चुनावी सभाओं में विरोध प्रकट करेंगें निजी विद्यालयों के संचालक व कर्मचारी
झारखण्ड/राँची (आकाश भगत) : झारखण्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, राँची के तत्वावधान में एक प्रदेशस्तरीय वर्चुअल बैठक आहूत की गई। उक्त बैठक की अध्यक्षता प्रदेश महासचिव रामरंजन कुमार सिंह ने की।
- पुनः विद्यालय खुलने की उम्मीद पर फिरा पानी
झारखण्ड सरकार के आपदा प्रबंधन के द्वारा दिये गये दिशा-निर्देश के आलोक में शैक्षणिक संस्थाओं को 30 अप्रैल तक बंद किये जाने से उत्पन्न स्थिति पर गंभीर विचार-विमर्श किया गया।
- विगत एक वर्षों से बंद है निजी विद्यालय
ज्ञात हो कि कोरोना वायरस कोविड 19 के कारण विगत 22 मार्च 2020 से प्रदेश के शिक्षण संस्थानों सहित समस्त विद्यालय को बंद कर दिया गया। निजी विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिका एवं शिक्षिकेत्तर कर्मचारियों को विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है। विद्यालय का मकान किराया, विद्यालय-बस का मासिक किश्त, बिजली बिल एवं अन्य खर्चों का वहन करना असहनीय हो गया है। इस हेतु दर्जनों पत्र सी एम ओ., पी.एम.ओ., शिक्षा मंत्री एवं सम्बन्धित अधिकारी और पदाधिकारी को दिया गया, लेकिन सरकार की ओर से आज तक कोई पहल नहीं की गई। सरकार ने हर बार निजी विद्यालयों की बातों को अनसुना कर दिया।
- बैठक में लिए गए निर्णय
स्कूल खोलने को लेकर वर्तमान परिपेक्ष्य पर आयोजित कल के राज्यस्तरीय ऑनलाइन विचार गोष्ठी में यथासम्भव सर्वसम्मति से सहमति प्राप्त निष्कर्ष इस प्रकार हैं :
- वैचारिक गोष्ठी में अंततोगत्वा इस निष्कर्ष पर हमारी पहुँच बनी कि चूंकि राज्यभर में धारा 144 व आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन इत्यादि सभी सभी तरह के कार्यक्रमों पर Covid-19 प्रोटोकॉल के तहत सख्त पाबंदी रहेंगे तो ऐसे में हम शिक्षकेत्तर लोग अपनी माँगें रखें तो कहाँ रखें! यह एक विचारनीय मुद्दा बना।
- ऐसे में यहाँ एक ही रास्ता बच जाता है जो हमें दिखाई पड़ा जहाँ सभी तरह के प्रोटोकाल तोड़े जाते हैं, और वह जगह है “चुनावी मैदान” जहाँ हम बहुमत संख्या में होकर त्वरित एवं परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री जी से अपनी माँगें रखने के लिए ‘काला बिल्ला’ लगाकर विद्यालयों को खोलने हेतु सरकार से अनुरोध करते हुए हल्लाबोल प्रदर्शन करें।
- यह सबको पता है कि आजादी मुफ्त में नहीं मिलती है कुछ न कुछ चुकता करना पड़ता है और हमें पता है कि हम निजी विद्यालयों को आजादी चाहिए तो आजादी की लड़ाई लड़नी होगी। कोरोना का सबसे सुरक्षित स्थान है चुनाव स्थल ही है।
- एसोसिएशन काफी चिन्तित है आपसभी प्रत्येक विद्यालय कमर कस लें। एसोसिएशन बहुत जल्द अब विद्यालयों को खुलवाने हेतु वचनवद्ध है। विद्यार्थियों का बुरा हाल है, ऑनलाइन कक्षाएँ अमीरों के लिए है। जबकि गरीब बच्चों की संख्याँ लाखों में है जो विगत एक वर्ष से शिक्षा से दूर हो गये हैं। उनके अन्दर गलत आदत, नशापान की बुरी लत लग गई है, जिसे छुड़वाने हेतु सभी विद्यालयों एवं अभिभावकों को कठिन परिश्रम करना होगा, उसके बाद भी बच्चे सुधर ही जायेंगे, कोई जरुरी नहीं है।
उक्त बैठक में राँची से पुरुषोत्तम कुमार, खूँटी से ब्रजेश सिन्हा, गुमला से विवेक मंडल, बासु सिन्हा, साहेबगंज से सत्यजीत कृष्ण, बिवेकानन्द गुप्ता, गोड्डा से प्रलय कुमार सिंह, समीर कुमार दूबे, शशिकान्त गुप्ता, देवघर से प्रेम कुमार केसरी, पी.के.आर्या, डॉ.राज कुमार दूबे, मधुपुर से डॉ अतुनू चक्रवर्ती, संजय कुमार सिंह, दुमका से नरेन्द्र मिश्रा, धनबाद से इरफान खान, शमीम अहमद, रंजीत कुमार मिश्रा, विशाल श्रीवास्तव, कोडरमा से देवेन्द्र कुमार, संजीव कुमार, नितेश जी, अखिल सिन्हा, संगीता शर्मा, लोहरदगा से श्रीमती कृष्णा सिंह, नवीन कुमार, शमीम जी, पाकुड़ से गब्रिल मुर्मू, पलामू से साइमन मैथ्यू एसले, विमल कुमार, चतरा से अरुण कुमार भगत, आनन्द कुमार सिंह, ब्रज किशोर वर्मा, हजारीबाग से नकुल मंडल, रामगढ़ से मो. इकबाल, घाटशिला से डॉ. प्रसन्जीत कुमार, लातेहार से शशि पाण्डेय, ब्रह्मदेव कुमार, पलामू से अशोक विश्वकर्मा, संजय सोनी, पवन तिवारी सहित दर्जनों प्राचार्य व निदेशक उपस्थित थे।