शिक्षा का अधिकार अधिनियम संशोधित 2019 के खिलाफ आज हाई कोर्ट में हुई बहस
- झारखण्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा दायर रिट याचिका पर आज हुई बहस
झारखण्ड/राँची : झारखण्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव श्री रामरंजन कुमार सिंह के द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम संशोधित 2019 नियमावली के खिलाफ अगस्त 2019 में एक रिट याचिका दायर की गई थी।
ज्ञात हो कि पूरे झारखण्ड राज्य में शिक्षा का अधिकार अधिनियम संशोधित नियमावली 2019 पूरे लागू किया गया था जिसमें सभी विद्यालयों को उसके तहत मान्यता लेनी थी। जिसमें मानक के अनुसार सभी विद्यालय को 75 डिसमिल और एक एकड़ जमीन, मानक कमरे का साइज, विद्यालय में खेल का मैदान, फायर सेफ्टी के द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र आदि होना अनिवार्य था।
वैसे विद्यालय जो मान्यता नहीं लेते हैं उनको सरकार द्वारा बंद करने का आदेश दिया गया था, जिसके खिलाफ एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में वकील श्री सुमित गदोरिया के द्वारा केस दर्ज किया गया था। उसपर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि रंजन ने 21 अगस्त 2019 को तत्काल स्टे लगा दिया था। तब से लेकर अभी तक इस पर स्टे लगा हुआ है।
आज 4 फरवरी 2021 को हाईकोर्ट में इसमें बहस हुई जिसमें एसोसिएशन के वकील द्वारा सरकारी वकील के सामने अपनी बातों को रखा और उनसे पूछा कि जब केंद्र सरकार ने आरटीई 2009 लागू किया जिसमें जमीन संबंधित कहीं भी नॉर्म्स में नहीं लिखा तो फिर राज्य सरकार ने जमीन (75 डिसमिल) चाहिए यह विधानसभा में कैसे पारित किया और विधानसभा में इसे रखा किसने ? क्या शिक्षा मंत्रालय ने रखा? कैसे? जबकि फंडामेंटल राइट है कि 6 साल से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा लेने से कोई भी वंचित नहीं कर सकता, क्या केंद्र सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए झारखण्ड राज्य सरकार ने अपना अलग नया नियम बना लिया है? आप हमें यह प्रूफ़ दें कि विधानसभा में किसने जमीन संबंधित मानक को रखा। आगे उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट स्कूल तभी शिक्षा का अधिकार अधिनियम को पूरा करेंगे जब सरकारी विद्यालय पूरा करेगा।
उपरोक्त से साफ पता चलता है कि कहीं ना कहीं निजी विद्यालय को बंद करने की एक साजिश रची जा रही है। क्योंकि सैकड़ों सरकारी विद्यालयों का संचालन न सिर्फ एक कमरे में अपितु बिना खेल के मैदान के भी हो ही रहा है, पर बात सिर्फ निजी विद्यालयों को बंद करने की होती है।
पूरी बहस ऑनलाइन हुई। केस की अगली सुनवाई आगामी 4 मार्च 2021 को है।