जानें कौन है दीप सिद्धू, जिसे लाल किला मामले में NIA ने किया तलब
नई दिल्ली :दिल्ली में टैक्टर परेड के नाम पर जगह-जगह बवाल करते हुए प्रदर्शनकारी लाल किला में घुस गए और वहां ठीक उस जगह पर दो झंडे लगाए जहां हर साल 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं। इसके अलावा जगह-जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प और हिंसक वारदातों की भी खबरें सामने आई। दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों के प्रदर्शन के नाम पर जो हिंसा हुई उसका आखिर जिम्मेदार कौन है? क्या किसी सोची-समझी साजिश के तहत आंदोलनकारियों ने ये उपद्रव किया। कांग्रेस सांसद रवनीत सिख ने इसके पीछे सिख फाॅर जस्टिस का हाथ होने का आरोप लगाया। इसके साथ ही पंजाबी फिल्मों के अभिनेता दीप सिंह सिद्धू का नाम लिया। वहीं समाजसेवी योगेंद्र यादव ने भी किसानों को भड़काने का आरोप दीप सिद्धू पर लगाए। ऐसे में आपको बताते हैं आखिर कौन हैं दीप सिद्धू जिनके ऊपर किसानों को भड़काने के आरोप लगे हैं।
- कौन है दीप सिद्धू
पंजाब के मुक्तसर जिले में जन्में दीप सिद्धू ने कानून की पढ़ाई की है। 2015 में उन्होंने पंजाबी फिल्म रमता जोगी से अभिनय की शुरुआत की। बाद में 2018 में आई फिल्म जोरा दास नुम्बरिया से पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत हासिल हुई। इस फिल्म में दीप सिद्धू ने गैंगस्टर का किरदार अदा किया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब के गुरदासपुर से बाॅलीवुड के अभिनेता सनी देओल चुनावी मैदान में उतरते हैं तो अपने चुनावी कैंपेन वाली टीम में दीप सिद्धू को भी शामिल करते हैं। हालांकि लाल किले वाली घटना और फिर सनी देओल से उनकी नजदीकियों को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा होने पर सनी देओल ने ट्वीट करते हुए दीप के साथ नजदीकियों का खँडन किया है। सनी देओल ने ट्वीटर पर लिखा की आज लाल किले पर जो हुआ उसे देख कर मन बहुत दुखी हुआ है। मैं पहले भी 6 दिसंबर को ट्वीटर के माध्यम से बता चुका हूं कि मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू के साथ कोई संबंध नहीं है।
- एनआईए ने किया तलब
नेशनल इंवेटिंगेटिव एजेंसी (एनआईए) ने सिख फाॅर जस्टिस मामले में दीप सिद्धू को नोटिस भेजा है। सिद्धू ने लाल किला प्राचीर से फेसबुक लाइव भी किया था। जिस वीडियो में सिद्धू ने कहा था कि हमने विरोध जताने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए लाल किला पर सिर्फ निशान साहिब का झंडा फहराया है।
- दीप सिद्धू की सफाई
दीप सिद्धू ने कहा कि उन्होंने तो बस निशान साहेब का झंडा लाल किले पर फहराया था। क्योंकि प्रदर्शन और आंदोलन करना लोकतांत्रिक अधिकार है। जहां तक तिरंगे की बात है उसे लाल किले से हटाया नहीं गया था।