प्रवासी परिन्दों पर मंडराने लगा बर्ड फ्लू का साया
- प्रदेश में लाखों की संख्या में आए हुए हैं परिन्दें
नए साल में कम होते कोरोना के कहर से मिली राहत के बाद प्रदेश में बर्ड फ्लू के रूप में नया संकट आ खड़ा हुआ है। राजस्थान के कुछ जिलों में पक्षियों की इस महामारी की पुष्टि हो चुकी है। इसके साथ ही सर्दी के मौसम में ठंडे देशों से पलायन कर आने वाले प्रवासी परिन्दों पर भी बर्ड फ्लू का साया मंडरा रहा है। इस समय अकेले मारवाड़ में ही करीब डेढ़ लाख प्रवासी परिन्दों ने डेरा जमा रखा है, जबकि पूरे राजस्थान में इनकी संख्या लाखों में है। हालांकि अभी तक इनमें कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन पक्षी विशेषज्ञ चिंता जता रहे है कि यदि इनमें बर्ड फ्लू फैल गया तो हालात विकट हो जाएंगे।
साइबेरिया व मंगोलिया सहित उस क्षेत्र के कुछ देशों में इन दिनों पड़ने वाली जबरदस्त सर्दी से बचाव के लिए प्रवासी परिन्दे लाखों की संख्या में भारत आते है। इनमें विभिन्न प्रजातियों के पक्षी राजस्थान में डेरा जमाते है। अकेले पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में ही करीब डेढ़ लाख परिन्दों ने अलग-अलग स्थान पर डेरा जमा रखा है। इसके अलावा सांभर झील व केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य के साथ विभिन्न स्थान पर पक्षी आए हुए है।
- खीचन में मचा हड़कंप
जोधपुर जिले के खीचन गांव में 25 हजार से अधिक कुरजा ने डेरा डाल रखा है। गांव के लोग इनकी सेवा में जुटे है। रोजाना करीब बीस क्विंटल दाना इनको खिलाया जा रहा है। खीचन में कल तीन कौवे मृत मिले थे। इसके बाद हड़कंप मच गया। कुरजा की देखभाल करने वाले सेवाराम का कहना है कि करंट लगने से दो-तीन कुरजा की मौत अवश्य हुई है, लेकिन बीमारी से अभी तक एक भी कुरजा की मौत नहीं हुई है। करंट से कुरजा की मौत होने के बाद पशु चिकित्सकों ने उनकी जांच की थी। वहीं कौओं को पूरी एहतियात बरतते हुए चिकित्सा विभाग को सौंप दिया गया है। कुरजा पर नजर रख रहे डॉ. भागीरथ सोनी ने बताया कि फिलहाल खतरे जैसे कोई संकेत नजर नहीं आए है। लगातार कुरजा पर नजर रखी जा रही है। वहीं जोधपुर में मरे कौओं की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने से राहत मिली है।