एक महिला सहित तीन नाबालिग बच्चों को जलाकर मारने के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच के आदेश दिए
झारखण्ड/गिरिडीह : हाईकोर्ट में गिरिडीह में एक महिला और तीन नाबालिग बच्चों को जलाकर मार देने के मामले मामले की सुनवाई करते हुए पूरे मामले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया है।
महिला के पिता चंद्रिका यादव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया था कि उनकी बेटी और तीन नाबालिग बच्चों की हत्या के बाद भी आरोपियों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। इस मामले की जांच निष्पक्षता पूर्वक कराने का आदेश दिया जाए।
जस्टिस आनंद सेन की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केस डायरी की मांग की और एसपी गिरिडीह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहने का आदेश दिया। मामले की सुनवाई के दौरान एसपी गिरिडीह उपस्थित थे। कोर्ट ने एसपी से पूछा इस अपराध में अब तक नामित आरोपियों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया है। आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और गवाहों को धमकी दे रहे हैं, ऐसे में पुलिस क्यों नहीं कार्रवाई कर रही है।
- कोर्ट ने जताई नाराजगी
एसपी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले के सुपरविजन के दौरान एसडीपीओ ने यह पाया उक्त महिला का किसी अन्य पुरुष के साथ प्रेम संबंध था जिसके कारण पति-पत्नी में आपस में झगड़ा हुआ था और उसने आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट ने पूछा कि इस बात का उल्लेख मुख्य केस डायरी में क्यों नहीं किया गया है। यह बताया गया कि इस बात का उल्लेख सुपरविजन नोट में किया गया है और पूरक केस डायरी में सुपर विजन नोट के आधार पर इसे अंकित भी किया गया है।
कोर्ट इस पर नाराजगी जाहिर की और इस तरह के अनुसंधानकर्ता और सुपर विजन करने वाले पदाधिकारियों के खिलाफ अविलंब कार्रवाई करने की बात कही। इसके बाद कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी को तलब किया। डीजीपी उपस्थित हुए और कोर्ट को आश्वस्त किया इसकी जांच सीआईडी से कराई जाएगी। डीजीपी के आश्वासन के बाद कोर्ट ने मामले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह आदेश भी दिया है कि मौजूदा अनुसंधानकर्ता और सुपरविजन करने वाले पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ इस तरह के गंभीर मामले का अनुसंधान सही तरीके से नहीं करने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस मामले की जांच सीआईडी से की जाएगी। इन दोनों पुलिस अधिकारियों को उससे अलग रखा जाएगा। इनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी और जब तक कार्रवाई पूरी नहीं कर ली जाती तब तक इन्हें किसी भी प्रकार के जांच से अलग रखा जाए। इसके बाद अदालत ने याचिका निष्पादित कर दिया।