एचएमसीएच में चिकित्सकीय लापरवाही से हुई एक गर्भवती महिला की मौत

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  • मौत के बाद परिजनों के करुण क्रंदन और चीत्कार से गूंज उठा अस्पताल परिसर
  • नाम बड़े दर्शन छोटे वाली कहावत हो रही है चरितार्थ – रंजन चौधरी

 

झारखण्ड/हज़ारीबाग : ज़िले के हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल की लापरवाही बीती रात्रि एक बार फिर सामने आई जब यहां चिकित्सकीय लापरवाही से एक गर्भवती महिला की असामयिक मौत हो गई। जच्चे-बच्चे की मौत होने के बाद अस्पताल परिसर परिजनों की करुण क्रंदन और चीत्कार से गूंज उठा और मातम के माहौल में बदल गया।

घटना के बारे में मृतक गर्भवती के देवर विक्की कुमार ने बताया कि सोमवार को संध्या करीब 6:30 बजे हमलोग न्यू एरिया रोड़ अवस्थित पैगोडा चौक से अपनी भाभी संगीता देवी (पति उमेश कुमार) के शरीर में अचानक सूजन होने और अकबकाहट बढ़ने के बाद एचएमसीएच लेकर आए और यहां लेबर रूम में भर्ती कराया।

ये गर्भवती थी और इसे महीने शिशु होने वाला था। उन्होंने बताया कि जब हम मरीज को यहां लेकर पहुंचे तो ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक डॉ. स्नेह लता ने हिमोग्लोबिन जांच कराने के पश्चात रिपोर्ट आने पर उनकी कमी बताकर तत्काल ब्लड चढ़ाने की सलाह दी।

महज 10 मिनट में हम ब्लड लेकर आए लेकिन तब तक 8:00 बज चुका था और डॉक्टर का शिफ्ट परिवर्तन हो चुका था। यहां मौजूद आउटसोर्सिंग की नर्सिंग स्टाफ को ब्लड चढ़ाने के लिए नर्स खोजने में आधे घंटे लग गए और मरीज की स्थिति बिगड़ती गई।

मरीज की बिगड़ती स्थिति को देख सदर विधायक मनीष जयसवाल की मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी को फोन किया। जिसके बाद वे तुरंत यहां पहुंचे और यहाँ चिकित्सक के नहीं रहने की जानकारी एचएमसीएच के उपाधीक्षक डॉ. ए. के. सिंह, अधीक्षक डॉ. संजय कुमार सिन्हा और सदर एसडीओ को दी गयी।

फिर इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. संजीव हेंब्रम को ट्रामा सेंटर से बुलाकर दिखाया तो उन्होंने मरीज को मृत घोषित कर दिया। मरीज की मृत्यु होने के पश्चात यहाँ महिला चिकित्सक पहुंची। परिजनों ने चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया है।

 

सदर विधायक मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी ने बताया कि एचएमसीएच प्रबंधन की अनदेखी व लापरवाही से यहां “नाम बड़े दर्शन छोटे” वाली कहावत इन दिनों चरितार्थ हो रही है।

उन्होंने कहा कि जिस एचएमसीएच पर पूरे उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के कई जिलों के निवासियों के मरीजों को बेहतर इलाज की आस जगी है तो ऐसे में जब वहां की व्यवस्था चरमरा जाए तो गरीब, लाचार, मजबूर मरीजों की उम्मीदें टूटती है और एचएमसीएच प्रबंधन, जिला प्रशासन और वर्तमान झारखण्ड की गठबंधन की सरकार पर भी सवाल उठते हैं।

उन्होंने कहा कि जब यह सदर अस्पताल था तब डॉक्टरों के लिए मारामारी होती थी लेकिन जब मेडिकल कॉलेज बन गया तो यहां अवस्थित लेबर रूम जैसे संवेदनशील वार्ड को रात्रि पाली में महज दो आउटसोर्सिंग नर्सिंग स्टाफ के भरोसे छोड़ा जाना मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ा जाना जैसा ही प्रतीत होता है।

उन्होंने बताया कि लेबर रूम में बीती रात्रि हुई घटना के बाद यहां देखी गई लापरवाही और गतिविधियां यहां की बिगड़ती व्यवस्था को खुद-ब- खुद बयां कर रही थी। लेबर रूम में इतने गंभीरावस्था की मरीज के इलाज के लिए यहां ना महिला चिकित्सक मौजूद रहीं और ना ही कोई फिजीशियन।

ऐसे में एचएमसीएच प्रबंधन की लापरवाही और चिकित्सक के गैरमौजूदगी के कारण इस जच्चे- बच्चे ने दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि मैंने इस संबंध में उपाधीक्षक, अधीक्षक और सदर एसडीओ को अवगत कराते हुए लेबर रूम की लापरवाही और यहां की बिगड़ रही गतिविधियों के बाबत बताया है और तत्काल से सुदृढ़ करने की मांग की है।

अब देखना यह है कि व्यवस्था में कोई परिवर्तन होता है या हेमंत सरकार में ऐसे ही गरीबों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ होता रहेगा और इसी तरह भुक्तभोगी परिवार के परिजन अपने असहनीय दर्द से यहां रोते-बिलखते और चित्कार करने के लिए मजबूर होते रहेंगे।

विधायक मीडिया प्रतिनिधि श्री चौधरी ने बताया कि इस संबंध में सदर विधायक मनीष जायसवाल को भी अवगत कराया गया है।और विधायक श्री जायसवाल हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल की गिरती चिकित्सा व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने जल्द इस मामले में अस्पताल प्रबंधक, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों और सरकार के स्तर पर शिकायत करने की बात कही है ताकि व्यवस्था में सुधार हो और इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो।

 

: द न्यूज़ के लिए सचिन खंडेलवाल की स्पेशल रिपोर्ट।

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आकाश भगत

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