Jaya Ekadashi 2025: जया एकादशी व्रत से भक्त होते हैं दोषमुक्त
आज जया एकादशी व्रत है, इस दिन भगवान विष्णु की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और धन की देवी माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है तो आइए हम आपको जया एकादशी का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें जया एकादशी के बारे में
पंडितों के अनुसार एक साल में 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं जो सभी भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस दौरान सभी एकादशी अपने विशेष महत्व और पूजा के लिए जानी जाती है। परंतु माघ शुक्ल की जया एकादशी सबसे महत्वपूर्ण है। इस दिन सृष्टि के संचालक भगवान श्री हरि की पूजा अर्चना करने और उपवास रखने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इतना ही नहीं प्रभु के प्रभाव से भूत-प्रेत, नकारात्मक शक्ति और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। शनिवार, 8 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसका नाम अजा, जया और भीष्म एकादशी है। ये व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता है। पंडितों के अनुसार एकादशी व्रत से जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों का फल कम होता है। एक एकादशी व्रत से यज्ञ करने से जितना पुण्य मिलता है, उतना पुण्य मिलता है।
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जानिए जया एकादशी व्रत के बारे में कुछ खास बातें
जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, वे एक दिन पहले यानी दशमी की शाम से व्रत के नियमों का पालन करते हैं। दशमी तिथि की शाम सात्विक खाना खाएं और ब्रह्मचर्य का पालन करें। शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें। एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को अधार्मिक कामों से बचना चाहिए, वर्ना एकादशी व्रत का पूरा पुण्य नहीं मिलता है।
एकादशी की सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा में भगवान विष्णु की पूजा करने का और एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। जल, दूध, पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें। अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। अभिषेक के बाद लक्ष्मी-विष्णु का हार-फूल और नए वस्त्रों से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं, तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। मौसमी फल अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम, भगवद गीता या विष्णु चालीसा का पाठ करें। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करना चाहिए।
पूजा के बाद पूरे दिन निराहार रहना चाहिए, भूखे रहना मुश्किल हो तो फलाहार कर सकते हैं। फलों का रस और दूध पी सकते हैं। एकादशी की शाम को भी विष्णु-लक्ष्मी और तुलसी की पूजा करें, तुलसी के पास दीपक जलाएं। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठें। भगवान विष्णु की पूजा करें। जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है।
जया व्रत करने से पाचन तंत्र को मिलता है आराम
जब हम व्रत करते हैं, तो अन्न नहीं खाते हैं और अन्न नहीं खाते हैं तो हमारे पाचन तंत्र को खाना पचाने के काम से ब्रेक मिलता है। व्रत से गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं कम होती हैं। जब हम हल्का और संतुलित आहार लेते हैं, तो ये चीजें हमारा पाचन तंत्र आसानी से पचा लेता है। व्रत के दौरान पर्याप्त पानी पीते रहना चाहिए और शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती रहे, इसके लिए फलों का सेवन करना चाहिए।
जया एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा
जया एकादशी की पौराणिक कथा के अनुसार एक समय नंदन वन में महाउत्सव मनाया जा रहा है। इसमें सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि आदि शामिल होने आए थे। सभा में गीत-संगीत का दौर चल रहा था। उसमें एक सुंदर गंधर्व गायक माल्यवान गीत प्रस्तुत कर रहा था और उस पर एक नृत्यांगना पुष्पवती सुंदर नृत्य कर रही थी। इस दौरान वे दोनों एक-दूसरे पर मोहित हो गए और भरी सभा में अपनी मर्यादा भूलकर उत्तेजित हो गए। उन्हें यह भी भान नहीं रहा कि वे कहां हैं। यह देख इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने दोनों को स्वर्गलोक से निकालकर मृत्यु लोक पर जाने का श्राप दे दिया। मृत्युलोक में पहुंचकर उन्हें अपनी भूल का भान हुआ और वे मृत्युलोक से मुक्ति पाने के लिए एक ऋषि के आश्रम में गए। ऋषि ने उन्हें माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी करने का सुझाव दिया। दोनों ने माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत विधि-विधान से किया और मुक्ति पाकर पुन: स्वर्गलोक में पहुंच गए।
जानें जया एकादशी व्रत के नियम
जया एकादशी का व्रत दो तरह से रखा जाता है. निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. आमतौर पर पूरी तरह स्वस्थ्य व्यक्ति को ही निर्जल व्रत रखना चाहिए। सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए।
क्यों खास है जया एकादशी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जया एकादशी पर भगवान विष्णु के माधव रूप की पूजा की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। शास्त्रों के अनुसार विधि विधान से विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं।
– प्रज्ञा पाण्डेय