• पाटिर्यों को नहीं पता कहां से आया पैसा

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) ने चुनाव आयोग को बताया है कि 2019 में किसी ने उसके कार्यालय में 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड के साथ एक लिफाफा दिया था, जिसे पार्टी ने कुछ ही दिनों में भुना लिया, लेकिन दानदाताओं के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।

 

बता दें कि चुनाव आयोग की तरफ से रविवार को जारी आंकड़ों से पता चला कि चुनावी बॉन्ड खरीदने के मामले में सबसे टॉप पर रहे ‘फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज’ ने तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके को सबसे अधिक 509 करोड़ रुपए दान दिए थे। वहीं चुनावी बॉन्ड के इन लाभार्थियों में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और बिहार का सत्ताधारी दल जेडीयू भी शामिल है। हालांकि इन दोनों पार्टियों की दलील है कि कोई उनके पार्टी ऑफिस में सीलबंद लिफाफे दे गया था, जिसके अंदर ये इलेक्टोरल बॉन्ड्स थे और इसलिए वे इस बात से अंजान थे कि यह दान किसने दिया।

 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक टीएमसी ने 27 मई, 2019 को चुनाव आयोग को सौंपे आवेदन में कहा था, ‘इनमें से अधिकांश बॉन्ड हमारे कार्यालय में भेजे गए थे और ड्रॉप बॉक्स में डाल दिए गए थे या विभिन्न व्यक्तियों के दूतों के जरिये भेजे गए थे, जो हमारी पार्टी का समर्थन करना चाहते थे। इनमें से कई गुमनाम रहना पसंद करते हैं। इसलिए हमारे पास इन लोगों के नाम या कोई दूसरी जानकारी नहीं है।

 

 

 

 

  • डीएमके को कितना पैसा मिला

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके को लेकर भी अहम जानकारी सामने आई है। डीएमके को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 656.6 करोड़ रुपए मिले हैं। डीएमके ने बताया है कि उसे इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले 656.6 करोड़ में से 509 करोड़ फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज के जरिए मिला है।

 

 

डीएमके को मिले कुल राजनीतिक चंदे में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज के डोनेशन की हिस्सेदारी 77 फीसदी से ज्यादा है। इस कंपनी के मालिक, सैंटियागो मार्टिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में भी हैं।

आकाश भगत

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