AIIMS : डॉक्टरों ने 90 सेकंड में कर दी भ्रूण की हार्ट सर्जरी
चमत्कार ऊपर वाले का ही माना जाता है। लेकिन इस दौर में तो तकनीक भी दुनिया को चमत्कृत कर रही है। देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां AIIMS के डॉक्टरों ने ऐसा चमत्कार किया कि पूरी दुनिया में उसकी चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया में भी यह खबर जमकर वायरल हो रही है।
इस मामले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने अपने ट्विटर अकाउंट से एम्स के डॉक्टरों को इस तरह की रेअर सर्जरी की सफलता पर बधाई दी। उनके साथ ही कई विशेषज्ञों ने इस खबर को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर कर जानकारी दी।
- क्या है मामला?
दरअसल AIIMS यानी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने मां के गर्भ में एक भ्रूण के दिल का सफल बैलून डाइलेशन किया। कमाल की बात तो यह थी कि मां के गर्भ में पल रहे इस भ्रूण का दिल सिर्फ एक अंगूर के आकार के बराबर था। दरअसल, डॉक्टरों ने बच्चे के माता-पिता को उसके दिल के कॉम्पलिकेशंस के बारे में बताया था। ऐसे में डाइलेशन करने का फैसला किया गया।
- आसान नहीं था फैसला
न्यूज एजेंसी के मुताबिक डॉक्टरों ने बताया कि 28 साल की गर्भवती महिला को तीन बार गर्भपात हो चुका था और जब उसे अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण की दिल की खराब स्थिति के बारे में बताया गया तो वह बेसुध हो गई थी। माता-पिता चाहते थे कि इस बार उनके साथ किसी प्रकार की अनहोनी न हो। हालांकि सर्जरी का फैसला आसान नहीं था। लेकिन मां बाप की सहमति के बाद सर्जरी की गई।
- आखिर कैसे हुई सर्जरी?
न्यूज एजेंसी के अनुसार इसके बाद डाइलेशन की प्रक्रिया एम्स कार्डियोथोरेसिक साइंसेज सेंटर में की गई थी। इसके लिए डॉक्टरों की एक पूरी टीम ने काम किया। इसके बाद एक प्लान के तहत इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और भ्रूण चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम ने डाइलेशन की सफल प्रक्रिया की। एम्स के प्रसूति एवं स्त्री रोग (भ्रूण चिकित्सा) विभाग के साथ कार्डियोलॉजी और कार्डियक एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों की टीम के मुताबिक सर्जरी के बाद भ्रूण और मां दोनों ठीक हैं।
- सिर्फ 90 सेकेंड में सर्जरी
डॉक्टरों ने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने मां के पेट के माध्यम से बच्चे के दिल में एक सुई डाली। फिर एक गुब्बारे कैथेटर का उपयोग कर डॉक्टरों ने ब्लड फ्लो में सुधार के लिए बाधित वॉल्व को खोला। डॉक्टर ने कहा कि यह पूरी प्रोसेस बहुत तेजी से की जानी थी। इसिलए यह एक चुनौतीपूर्ण काम था। लेकिन डॉक्टरों ने इसे करीब 90 सेकेंड में पूरा किया।