8 नवंबर को मनाई जायेगी कार्तिक पूर्णिमा, राशि के अनुसार करें दान
कार्तिक पूर्णिमा इस साल 8 नवंबर को है। कार्तिक मास को सभी महीनों में बेहद शुभ व फलदायी माना गया है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान व दान करने से इस पूरे महीने के गए पूजा-पाठ के बराबर फल मिलता है। कार्तिक महीना भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी तिथि पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। इसे भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है। प्राचीन समय में जब जल प्रलय आया था, तब मत्स्य अवतार के रूप में भगवान ने पूरे संसार की रक्षा की थी। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था, इस वजह से इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। इस कारण इसे देव दीपावली कहते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने की परंपरा है। साथ ही हवन, दान, जप, तप आदि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है। विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान नारायण ने मत्स्यावतार लिया था। साथ ही इस दिन उपछाया चंद्रग्रहण भी लग रहा है। जो इस दिन महत्व को और अधिक बढ़ाता है। कार्तिक मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर इस माह के स्नान समाप्त हो जाएंगे। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी और सुननी चाहिए। जरूरतमंद लोगों को फल, अनाज, दाल, चावल, गरम वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा पर अगर नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर ही सुबह जल्दी उठें और पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए। सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। जल तांबे के लोटे से चढ़ाएं। अर्घ्य देते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए। किसी गौशाला में हरी घास और धन का दान करें। इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। कर्पूर जलाकर आरती करें। शिव जी के साथ ही गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
इसे भी पढ़ें: 8 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, राशि अनुसार करना चाहिए दान-पुण्य
देव दीपावली
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी खुशी को दर्शाते हैं। इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन नदी और तालाब में दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त हो जाते हैं और कर्ज से भी मुक्ति मिलती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण जरूर बांधे और दीपावली की ही तरह चारों और दीपक जलाएं।
तुलसी पूजन
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन शालिग्राम के साथ ही तुलसी जी की पूजा की जाती है। इस दिन तुलसी पूजन का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ और हवन का भी बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना का अनंत फल होता है। इस दिन तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाएं। जिससे आपके मनोकामना पूरी हो और दरिद्रता दूर हो सके।
जरूरतमंदों को करें दान
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से दस यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है। इस दिन दान का बहुत अधिक महत्व होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हों वह जरूर करें। इससे घर परिवार में धन-समृद्धि और बरकत बनी रहती है।
भगवान शिव बने थे त्रिपुरारी
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली असुर का वध इसी दिन किया था। इससे देवताओं को इस दानव के अत्याचारों से मुक्ति मिली और देवताओं ने खुश होकर भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम दिया।
इसे भी पढ़ें: गुरु नानक देव जी वह 10 शिक्षाएं जो हर किसी का जीवन संवार देती हैं
भगवान विष्णुर का प्रथम अवतार
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगवान विष्णु। का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार के रूप में भगवान विष्णुत मत्स्य यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे। इस दिन सत्यरनारायण भगवान की कथा करवाकर जातकों को शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर तिल स्नान से मिलेगी शनि दोषों से राहत
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर तिल जल में डालकर स्नान करने से शनि दोष समाप्त होंगे। खासकर शनि की साढ़ेसाती। वही कुंडली में पितृ दोष, चांडाल दोष, नदी दोष की स्थिति यदि है तो उसमें भी शीघ्र लाभ होगा।
कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पूर्णिमा तिथि 07 नवंबर 2022 को शाम 04:15 मिनट पर शुरू होगी, जो कि 08 नवंबर को शाम 04:31 मिनट पर समाप्त होगी। पूर्णिमा तिथि के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त शाम 04:31 मिनट तक है। दान करने का शुभ समय 8 नवंबर को सूर्यास्त से पहले तक है।
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास बता रहे हैं कि राशि अनुसार आपको किन चीजों का दान करना चाहिए।
मेष-गुड़
वृष- गर्म कपड़ों
मिथुन-मूंग की दाल
कर्क-चावल
सिंह-गेहूं
कन्या-हरे रंग का चारा
तुला भोजन
वृश्चिकृ- गुड़ और चना
धनु-गर्म खाने की चीजें, जैसे बाजरा,
मकर-कंबल
कुंभ-काली उड़द की दाल
मीन- हल्दी और बेसन की मिठाई
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक