चीन की चालबाजियों को पलभर में कुचलने का पूरा इंतजाम, फेस रिक्गनिशन सिस्टम के जरिये अनजान चेहरों की होगी पहचान

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हिन्दुस्तान की सेना पाकिस्तान के साथ लगने वाली लाइन ऑफ कंट्रोल पर जितनी एक्टिव रहती थी। पिछले एक साल से चीन के साथ लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का भी वैसा ही हाल है। दोनों देशों के सेनाओं के  बीच खूनी झड़प बेशक एक अतीत बनता जा रहा है लेकिन वर्तमान तनाव से भरा हुआ है। दोनों देशों की खामोशी के बीच एलएसी पर इन दिनों तेज हलचल है। चीन की चालबाजियों को पलभर में कुचलने का इंतजाम कर लिया गया है। एलएसी पर तकनीक के सहारे ऐसी मुस्तैदी की चीन एक कंकड़ उछालने की भी हिमाकत की तो उसे करारा जवाब मिलेगा।

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पिछले हफ्ते पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने कहा था कि  चीनी सेना (पीएलए) जो वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास करती है, उसकी गतिविधियों के स्तर में कुछ वृद्धि हुई है, लेकिन वह गहन क्षेत्रों में है।  लेकिन चिंता करने की बात नहीं है हमने एलएसी के साथ-साथ गहन क्षेत्रों में भी अपनी निगरानी बढ़ा दी है। आने वाली किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए हमारे पास प्रत्येक क्षेत्र में पर्याप्त बल उपलब्ध है। इन चीनी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और अन्य तकनीकों को शामिल करते हुए सेना के स्वदेशी नवाचारों को विकसित किया गया है। भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से निगरानी उपकरणों की एक श्रृंखला को डिजाइन और विकसित किया है और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों द्वारा लगातार अभ्यास और गश्त गतिविधियों को बारीकी से ट्रैक करने के लिए पूर्वी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उन्हें तैनात किया है। 

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भारतीय सेना के एक अधिकारी ने चेहरा पहचानने का सिस्टम बनाया है। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इसके जरिये पहले से स्टोर की गई इमेज, वीडियो के साथ ही लाइव फीड से भी चेहरे की पहचान की जा सकती है। डेटा बेस में कई लोगों का फोटो सहित डेटा फीड है। यह सिस्टम डेटा बेस से मैच कर बता सकता है कि फोटो, वीडियो या लाइव फीड में दिख रहा शख्स कौन है।  इसके साथ ही एक कम्युनिकेशन सिस्टम भी बनाया गया है जिसमें बिना किसी मोबाइल नेटवर्क के सैनिकों का ग्रुप आपस में संपर्क में रह सकते हैं। 

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