छिना रामविलास का बंगला, चिराग को हेलीकॉप्टर का सहारा, चाचा पारस चलाएंगे सिलाई मशीन
कोई उन्हें मौसम वैज्ञानिक की संज्ञा देता है तो कोई उन्हें साधने पैदल ही 12 जनपथ के आवास पर पहुंच जाता है। वो युवा नेता जो जब चुनावी समर में उतरता है तो अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज करवा लेता है। पिछले तीन दशक में दिल्ली की तख्त पर चाहे कोई भी पार्टी किसी भी गठबंधन की सरकार रही हो हरेक सरकार में उसकी भागीदारी अहम रही। मौसम वैज्ञानिक यानी जो पहले ही भांप ले की कौन जीतने वाला है और फिर वो उस दल या गठबंधन के साथ हो लेते हैं। राम विलास पासवान के अनुमान का ही नतीजा माना जाता है कि बिहार की सबसे छोटी पार्टियों की लिस्ट में होने के बावजूद उसकी हमेशा सत्ता में भागेदारी रही। लेकिन उनके निधन के एक साल के भीतर ही 21 पहले खड़ी की गई पार्टी दो फाड़ हो गई और जनता पार्टी से होते हुए जनता दल और उसके बाद जनता दूल यूनाइटेड के रास्ते लोकजनशक्ति पार्टी के खड़े किए बंगले पर चुनाव आयोग का ग्रहण लग गया।
बंगला फ्रिज, नया सिंबल आवंटित
चुनाव आयोग ने लोक जन शक्ति पार्टी (लोजपा) के पार्टी सिंबल (चुनाव चिन्ह) को फ्रीज कर दिया है। चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस दोनों खेमे इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। जिसके बाद आज चुनाव आयोग ने चिराग पासवान को ‘लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)’ नाम और चुनाव चिन्ह ‘हेलीकॉप्टर’ आवंटित किया। पशुपति कुमार पारस को ‘राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी’ नाम और ‘सिलाई मशीन’ चुनाव चिह्न आवंटित किया। चुनाव आयोग का यह फैसला काफी अहम है। यह ऐसे समय लिया गया है जब बिहार में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। दोनों सीटों पर 30 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। इनमें मुंगेर की तारापुर और दरभंगा की कुशेश्वरस्थान शामिल हैं।
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जनता दल और जनता पार्टी से होते हुए 21 साल पहले बनाई लोजपा
पिछले तीन दशक में केंद्र की सत्ता में आए हर राजनीतिक गंठबंधन में शामिल रहे और मंत्री बने। राजनीतिक गलियारे में पासवान को इसीलिए विरोधी सबसे सटीक सियासी मौसम विज्ञानी का तंज भी कसते हैं। सियासी हवा का रुख भांपकर गठबंधन की बाजी चलने की यह काबिलियत ही है कि अपने अस्तित्व के करीब तीन दशकों में लोजपा अधिकांश समय केंद्र की सत्ता का हिस्सा रही है। राम विलास पहले जनता पार्टी से होते हुए जनता दल और उसके बाद जनता दूल यूनाइटेड का हिस्सा रहे, लेकिन जब बिहार की सियासत के हालात बदल गए तो उन्होंने 2000 में अपनी पार्टी बना ली। दलितों की राजनीति करने वाले पासवान ने 1981 में दलित सेना संगठन की भी स्थापना की थी।
निधन के बाद बेटे और भाई के बीच बंटी पार्टी
लोक जन शक्ति पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान के निधन के बाद से ही पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। पारस चिराग के चाचा और राम विलास पासवान के भाई हैं। दोनों पार्टी पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश करते रहे हैं। राम विलास पासवान के गुजरते ही पार्टी में दो गुट बन गए थे। दोनों गुट अपने को असली एलजेपी होने का दावा करते रहे हैं।
चुनाव आयोग ने चिराग पासवान को ‘लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)’ नाम और चुनाव चिन्ह ‘हेलीकॉप्टर’ आवंटित किया। पशुपति कुमार पारस को ‘राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी’ नाम और ‘सिलाई मशीन’ चुनाव चिह्न आवंटित किया। pic.twitter.com/DXPo6LQYUs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 5, 2021