भारत में 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए पहली कोविड वैक्सीन को मिली इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी
- जायडस कैडिला की ZyCoV-D
कोरोना महामारी की उम्र 1 साल से ज्यादा हो चुकी है। आपातकाल, बैन, लॉकडाउन आदि-इत्यादि झेलने के बाद दुनिया समाधान की तरफ बढ़ गई है। हर एक देश अपने नागरिकों के लिए सबसे बढ़िया वैक्सीन के इंतजाम में जुटा है। ऐसी वैक्सीन जो ना सिर्फ कारगर हो बल्कि लोगों को निश्चित करे और यह भरोसा दें कि- ऑल इज वेल। हम सब इस बात को जानते हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार है। कोई भी दवा जब आती है तो अपने साथ बहुत सारी उम्मीद लेकर आती है।
फिलहाल हमारे देश में कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक लगाई जा रही है। इस लड़ाई में देश को एक और हथियार मिल गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि जायडस कैडिला को आज ZyCoV-D के लिए डीसीजीआई से आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए अनुमोदन प्राप्त हुआ। कोविड-19 के लिए दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए आधारित वैक्सीन 12 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों सहित मनुष्यों में लगाया जाएगा।
- 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए पहली कोविड वैक्सीन
न्यूज एजेंसी एएनआई ने मिनिस्ट्री ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी के हवाले से बताया कि जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दे दी जो दुनिया की डीएनए बेस्ड पहली कोरोना वैक्सीन है। इसे 12 साल और ऊपर के बच्चों और वयस्कों को लगाया जाएगा।
- दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन
अहमदाबाद स्थित इस फार्मा कंपनी ने अपनी इस वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए डीसीजीआइ के पास पहली जुलाई को आवेदन दिया था। कंपनी का कहना है कि उसने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों पर इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल किया है। कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन होगी जिसे किसी भारतीय कंपनी द्वारा विकसित किया गया है।