कैदी की अद्भुत चित्रकारी, पेशेवर कलाकार की तरह थ्री डी पेंटिंग से बदली जेल की सूरत
(स्मित पालीवाल) पेंटिंग का शौकीन साधुराम जीवन की राह से भटका और अपराध की दुनिया में उतर गया। एक बार पकड़ाया तो अदालत ने 12 साल की सजा सुना दी और उदयपुर जेल में डाल दिया। सजा काटते-काटते चित्रकारी का हुनर फिर निखर उठा। वह तस्वीरें बनाने लगा और खूबसूरत इतनी कि इन्हें देखकर जेलर भी चौंक गए। फिर क्या था, जेलर ने रुचि के अनुसार उसे जेल की रंगत बदलने का जिम्मा सौंप दिया। करीब एक साल में उस पेंटर ने जेल की दीवारों पर इतनी खूबसूरत तस्वीरें उकेर दीं कि सबको लगने लगा है कि जैसे ये दीवारें बोल रही हैं।
साधुराम कैदी नंबर 259 है। वह 5 साल से ज्यादा वक्त से उदयपुर सेंट्रल जेल में है। जेल प्रशासन के अनुसार, साधुराम एनडीपीएस एक्ट राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में 25 अगस्त 2015 को पुलिस की गिरफ्त में आया था। दो अलग-अलग मामलों में कोर्ट ने साधु राम को 12 साल की सजा दी। उदयपुर जेल लाने पर वह रंगरोगन करने लगा। चित्र भी बनाए और काम धीरे-धीरे निखरता गया।
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थ्री डी की तरह दिखता है वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम
उदयपुर जेल में बंद कैदी साधु राम आम कैदियों की तरह जेल के काम करता था लेकिन जेल प्रशासन द्वारा उसके हुनर को पहचाना गया। मार्च 2019 से उसे जेल में रंग रोगन का काम सौंपा गया। डेढ़ साल में साधु राम ने जेल की तस्वीर को बदल दिया है। अधिकारियों के कक्ष को भी थ्री डी कक्ष की तरह दिखाई देने वाला कर दिया।
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अन्य कैदियों के लिए ट्रेनर बन गया साधुराम
उदयपुर जेल में बंद कैदी साधु राम की पेंटिंग से अन्य कैदी भी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी साधु राम के साथ काम करने की इच्छा जताई। इसके बाद साधु राम ने अन्य कैदियों को भी रंग रोगन की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। कुछ कैदी तो वह साधु राम की तरह बेहतरीन कलाकार बन कर उभर गए वहीं कुछ अब साधु राम के हेल्पर का काम करते हैं।
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परिवार ने कहा- समय रहते सुधरने लगा साधु
कैदी साधुराम मूलरूप से पंजाब के सोडी नगर फिरोजपुर का रहने वाला है। पूर्व में भी रंग रोगन का काम करता था, ऐसे में अब जेल की तस्वीर बदलते हुए साधु राम को देख उसके परिजन भी संतुष्ट हैं। उनका मानना है कि अपराध की राह पर जाता साधुराम समय रहते सुधर गया और अब अपनी सजा पूरी कर साधु राम एक अच्छा कलाकार बनकर बाहर आएगा।
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रुचि के हिसाब से सौंपते हैं काम : जेलर
उदयपुर सेंट्रल जेल के जेलर मानसिंह बारेठ बताते हैं कि जेल में कैदियों के आचरण को देखते हुए उन्हें काम करने का मौका दिया जाता है ताकि वह अपने व्यवहार और जीवन में सुधार ला सके। इसी पहल के तहत जेल में साधु राम को जेल प्रशासन द्वारा रंग रोगन की अनुमति दी गई जिसे अब साधुराम और उसके साथियों द्वारा बखूबी निभाया जा रहा है।
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