पीड़ा : सब्जी बेचने वाले बिरसा मुंडा के वंशज ने सीएम सोरेन को लिखा खुला ख़त

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  • मांगी नौकरी और मदद

देश में बिरसा मुंडा को जनजातियों का भगवान कहा जाता है। राजनीतिक दलों ने वोट के लिए बिरसा मुंडा को खूब पूजा किया, लेकिन आज बिरसा मुंडा का परिवार योग्यता के आधार पर नौकरी पाने के लिए तरस रहा है।

 

 

  • पिता की उगाई सब्जी बेचती है परपोती

बिरसा मुंडा की परपोती सब्जी बेच कर जैसे-तैसे अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है। वो खूंटी के बिरसा कॉलेज में ग्रेजुएशन कर रही है। छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिला है। वो अपनी पिता की उगाई सब्जी को खूंटी में बेचती है। उनका कहना है कि मैं किसी को बताने से बचती हूं कि वे बिरसा मुंडा की वंशज है।

 

 

 

  • मुख्यमंत्री के नाम खुला ख़त 

बिरसा मुंडी की परपोती जौनी कुमारी मुंडा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम से पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बयां की है। पत्र में उन्होंने लिखा, ‘आदरणीय मुख्यमंत्री जी, मैं जौनी कुमारी मुंडा, भगवान बिरसा मुंडा की वंशज। मैं अभी बिरसा कॉलेज खूंटी में बीए पार्ट-3 की छात्रा हूं। जब शिक्षक बिरसा मुंडा के आंदोलन के बारे में पढ़ाते हैं, तो गर्व होता है।

 

 

 

लेकिन, मैं किसी को नहीं बताती कि मैं उनकी परपोती हूं, क्योंकि लोग हमारी स्थिति देखकर निराश हो जाएंगे। सुनती हूं कि आदिवासी छात्राओं को पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति का लाभ मिलता है। मैंने कई बार आवेदन दिए, लेकिन कभी नहीं मिली। मेरे पिता सुखराम मुंडा 82 वर्ष की उम्र में भी खेतों में मेहनत करते हैं। उन्हें 1,000 रुपए वृद्धावस्था पेंशन मिलती है, उसी से मेरी पढ़ाई का खर्च चलता है।

 

 

भगवान बिरसा ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ की बात करते थे। आज राज्य में अबुआ राज है, लेकिन हमारी स्थिति थोड़ी भी नहीं सुधरी। मैं सरकार से कुछ नहीं मांगती। अलग से कुछ नहीं चाहिए, लेकिन जो नियम जनजातियों के लिए बने हैं, जो योजनाएं गरीबों के लिए हैं, उनका लाभ तो मिले। मैं अपने लिए, अपने बाबा, अपनी मां के लिए सम्मान चाहती हूं। बस इतना ही।’

 

 

 

  • सरकारी दफ्तर में लोगों को पानी पिलाता है पोता

चपरासी की नौकरी कर रहे बिरसा मुंडा के पोते कानू मुंडा का कहना है कि वे खूंटी के SDO ऑफिस में लोगों को पानी पिलाने का काम करते हैं। कानू का कहना है कि सारी सरकारों के ओर से बस आश्वासन मिलता आया है। कानू मुंडा ने बताया कि उन्होंने मुंडारी भाषा में पीजी की पढ़ाई की है। उनका कहना है कि रांची यूनिवर्सिटी के अलग-अलग कॉलेजों में इसकी पढ़ाई भी शुरू हो गई है। अगर सरकार चाहे तो मैं कॉलेजों में इन बच्चों को मुंडारी पढ़ा सकता हूं। लेकिन सरकार की ऐसी कोई मंशा ही नहीं है।

 

 

 

आकाश भगत

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