बिहार में नई सियासी खिचड़ी पकाने की तैयारी !
- मांझी और सहनी की मुलाकात के क्या है मायने
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की सरकार है। एनडीए में भाजपा और जदयू के अलावे जीतन राम मांझी की पार्टी हम और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी भी शामिल है।
बिहार चुनाव में आए नतीजों के बाद सत्ता में रहने के लिए एनडीए को सहनी और मांझी की जरूरत लगातार है। मांझी और सहनी की पार्टी को चार चार सीटें हासिल हुई थी। इन्हीं 8 सीटों के मिलाकर भाजपा और जदयू गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार करने में कामयाब हुई थी। बताया जा रहा है कि दोनों नेता वर्तमान में नाराज चल रहे हैं। पिछले दिनों बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वीआईपी पार्टी के प्रमुख पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी के बीच मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात ने बिहार की राजनीति में कई सियासी अटकलों को जन्म दे दिया है।
इसके साथ ही साथ इस मुलाकात ने एनडीए में भी बेचैनी बढ़ा दी है। वर्तमान की बिहार की एनडीए सरकार के लिए दोनों नेता बहुत जरूरी है। इनमें से कोई भी नेता इधर-उधर हुआ तो बिहार में एनडीए का खेल पूरी तरह से बिगड़ सकता है।
मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने ट्विटर पर अपनी तस्वीरों को भी साझा किया जिसे माना जा रहा है कि दोनों नेताओं को अपनी बात जहां पहुंचानी थी वहां वह आसानी से पहुंचा चुके हैं। लेकिन इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या दोनों नेताओं की उपेक्षा हो रही है? दोनों नेता राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखते हैं। ऐसे में क्या उनकी सरकार में सुनवाई नहीं हो रही है? इसको लेकर बिहार की राजनीति में लगातार मुद्दा गर्म है।
दोनों नेताओं के बीच जिस दिन यह मुलाकात हुई उसी दिन सुबह सवेरे मांझी ने नीतीश सरकार पर तंज कसा था। हालांकि बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ भी कर दी थी। मांझी ने राज्य में स्वास्थ्य उप केंद्रों को बेहतर बनाने की सलाह दी थी। लेकिन मांझी की भाषा ठीक वैसे ही थी जैसी आरजेडी की भाषा हुआ करती है। मांझी बिहार में लॉकडाउन के पक्ष में नहीं है। इसके अलावा मांझी लगातार पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं।