जानें दिल्ली के लिए क्यों खास है 13 फरवरी ?
- 90 साल पहले बनी थी देश की राजधानी
हमारी दिल्ली आज 90 साल की हो गई है। आज ही के दिन यानि की 13 फरवरी 1931 में दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया था। बता दें कि नई राजधानी की नींव 12 दिसंबर, 1911 को किंग जॉर्ज पंचम द्वारा नई दिल्ली दरबार एक धूमधाम शाही समारोह के दौरान रखी गई थी।
हालांकि, यह 20 साल बाद किंग जॉर्ज पंचम ने अपनी भारत यात्रा के दौरान घोषणा की कि कोलकाता की जगह अब नई दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी बनेगी और 13 फरवरी, 1931 को लॉर्ड इरविन ने नई राजधानी – नई दिल्ली का उद्घाटन किया।
आज ही के दिन 1931 में दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया था। तब से अब तक दिल्ली ने एक लम्बा सफ़र तय किया है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने शानदार काम के लिए अपनी दिल्ली आज पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन कर रही है। दुनिया के कई देश आज अपनी दिल्ली से सीखते हैं।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 13, 2021
पर क्यों लिया ऐसा फैसला?
कुछ 100 साल पहले, भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग ने एक पत्र में कहा था कि ग्रेट ब्रिटेन को अपना साम्राज्य राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करना चाहिए। जिसेक बाद यह पत्र 25 अगस्त, 1911 को शिमला से लंदन भेजा गया और अर्ल ऑफ क्रेवे को संबोधित किया गया, जो भारत के राज्य सचिव थे। हार्डिंग ने इस फैसले को समझते हुए तर्क दिया कि निर्वाचित विधायी निकायों के बढ़ते महत्व के लिए ब्रिटेन को अधिक केन्द्र में स्थित पूंजी की आवश्यकता है तो इसलिए साम्राज्य को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया जाए।
- दिलवालों की दिल्ली
जब भारत 1947 में आजाद हुआ तब दिल्ली में कई बड़े नए-नए इमारतों का निर्माण करने पर विचार किया गया, बता दें कि दिल्ली में आजादी के बाद ही तीन बड़े सरकारी इमारतों का निर्माण किया गया। यह तीन इमारतें सुप्रीम कोर्ट, विज्ञान भवन और अशोक होटल थी।
बताया जाता है कि दिल्ली 1950 के समय काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही थी, यह वह दशका था जब दिल्ली में आईआईटी और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी का निर्माण किया गया। इस वक्त आप जो दिल्ली के रास्तों में पड़ते इंद्रप्रस्थ भवन, संसद मार्ग देखते है उन सभी का डिजाइन तैयार करने का श्रेय हबीब रहमान को जाता है उन्होंने न केवल इन इमारतों का बल्कि आईएनए, सरोजनी नगर से लेकर कई सरकारी भवनों का डिजाइन तैयार किया।