हाईकोर्ट के आदेश पर नाैकरी से हटाए गए शिक्षक-शिक्षिकाओ ने निकाली न्याय यात्रा
झारखण्ड/राँची : हाई कोर्ट द्वारा सोनी कुमारी बनाम झारखंड सरकार के केस में झारखंड राज्य की नियोजन नीति को असंवैधानिक करार देते हुए यहां के 13 अनुसूचित जिलों में हुई स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति को एक वर्ष से अधिक सेवा देने के बाद निरस्त कर दिए जाने को लेकर कोविड 19 को ध्यान में रखते हुए सामाजिक दूरी एवं मास्क के साथ सिमडेगा जिले के नवनियुक्त स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा न्याय की गुहार को लेकर न्याय यात्रा निकाली गई।
यात्रा में शिक्षकों के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में तख्तियां एवं बैनर लेकर शाति पूर्वक जिला मुख्यालय के विभिन्न क्षेत्राें का भ्रमण किया गया एवं न्याय यात्रा की समाप्ति के पश्चात मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में 8 सूत्री मांगे शामिल थी। जिसमें सभी नवनियुक्त शिक्षकों की सेवा यथावत रखते हुए किसी भी प्रकार की शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई ना करने, लंबित वेतन आदि का भुगतान जल्द करने,भविष्य में वेतन भुगतान की प्रक्रिया सुचारू रखने आदि मांगे शामिल हैं।
शिक्षकों ने अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री से लगाई गुहार शिक्षकों ने शैक्षणिक कार्यों के अतिरिक्त सरकार एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्देशित सभी कार्यों यथा- चुनाव ड्यूटी कोविड-19 ड्यूटी राशन वितरण जनगणना कार्य, अन्य प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों को लाने, कोविड सेंटरों की निगरानी आदि दायित्वों का निष्ठा पूर्वक निर्वहन करते आने की भी बात कहते हुए इनकी सेवा एवं निष्ठा पूर्वक कार्य को सम्मान दिए जाने के साथ-साथ इनके पदस्थापन के बाद जिला में शिक्षा का स्तर ऊपर उठने एवं इनकी नियुक्ति से पूर्व लगभग 15 विद्यालयों में हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई थी वैसे विद्यालय पूर्णत: बंद हो जाने की भी बात कही है। साथ ही विद्यालय में पढ़ने वाले निर्धन बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों ने स्वयं के अधिकारों एवं मान सम्मान की रक्षा की भी गुहार मुख्यमंत्री से लगाई है।
न्याय यात्रा को सफल बनाने में मुख्य रूप से संजीव कुमार,संदीप कुमार सिंह, देवदर्शन बड़ाईक, अनंत कुमार, जीवन अमृत कुजुर, रेणु मंजुला लकड़ा, प्रियदर्शी बाड़ा, विक्की नाग, प्रिया केरकेट्टा, रजनी कुल्लू, समीर बाड़ा, शरीफ बरवा, आइरिन जेनिफा किंडो सहित जिले के कई शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल थीं। दूसरी नौकरी छोड़कर शिक्षक बने थे कई युवा यात्रा में शामिल लोगों ने कहा कि कई शिक्षकों ने अपने पूर्व की सरकारी एवं निजी नौकरियों को छोड़कर यहां आए हैं। जिनके समक्ष जीविकोपार्जन को लेकर कई चिंतनीय एवं गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई है। शिक्षकों की नौकरी के लिए अनुमान्य आयु सीमा समाप्त हो चुकी है,वे अन्य नौकरियों में जाने से भी वंचित हो गए हैं, यह भी एक विचारणीय प्रश्न है।
वहीं शिक्षक शिक्षिकाओं ने सरकार द्वारा दी गई नौकरी के भरोसे अपने आश्रितों के असाध्य रोगों के इलाज, भवन, भूमि, वाहन आदि प्रयोजनार्थ बैंकों से ऋण लिए हैं, उनके समक्ष ऋण चुकाने को लेकर गंभीर आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है। शिक्षकाें ने अागे कहा कि दूसरी ओर सरकार एवं सरकारी संस्था के द्वारा स्वच्छ एवं पारदर्शी चयन एवं नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की गई है। इसे भी जनहित के मद्देनजर इसकी विश्वसनीयता बनाए रखने की अपील की गई है।