डायरिया और त्वचा की बीमारी से परेशान हैं सिंघु बॉर्डर के प्रदर्शनकारी किसान

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दिल्ली की कड़कती सर्दियों के दौरान, सैकड़ों किसान विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए, सिंघू सीमा बॉर्डर पर कई दिनों से डेरा डाले हुए हैं। हालांकि उन्होंने दावा किया है कि वे तब तक नहीं हटेंगे जब तक सरकार कृषि कानून को रद्द नहीं कर देती। इन सब के बीच विरोध स्थल की गंदी हालत किसानों को बीमार बना रही है। टीओआई की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि किसानों को डायरिया और त्वचा की एलर्जी जैसी बीमारी हो रही है। विरोध स्थल पर बैठे किसानों की जगह पर कूड़े के ढेर और शौचालय बने हुए है जिससे किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

गर्म कपड़े और महीनों तक का राशन लेकर किसान केंद्र से कानूनों को रद्द करने के लिए धरने पर बैठी हुई है। बता दें कि विरोध स्थल में शौचालय की कमी है और रोज के लंगर, खाने-पीने से सड़क पर कचरे का ढेर बनता जा रहा है। हालांकि, किसान और स्वयंसेवक हर सुबह कचरे को साफ करते हैं, लेकिन दिन ढलते ही सामान का ढेर बड़ा हो जाता है। वहीं कुछ निवासियों ने किसानों के लिए अपने शौचालय खोले हैं, लेकिन यह स्पष्ट रूप से पर्याप्त नहीं है। डॉ दविंदर कौर, जो एक एनजीओ के साथ काम करती हैं, जो करीब एक हफ्ते से साइट पर मौजूद हैं, उन्होंने कहा कि रोजाना करीब 500 मरीज आ रहे हैं।

 

कौर ने बताया, त्वचा की एलर्जी, खुजली और फंगल संक्रमण सहित, एलर्जी की स्थिति और सामूहिक भीड़ के कारण आम है। उल्टी, कब्ज, दस्त, और अन्य आम बीमारियां बढ़ रही है। पटियाला के एक अन्य डॉ हरमनप्रीत सिंह ने कहा कि त्वचा की एलर्जी और फंगल संक्रमण फैल रहा है क्योंकि सैकड़ों किसान इकट्ठा हुए हैं। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, स्थान, भोजन और मौसम के परिवर्तन ने भी किसान के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है,” । उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को शरीर में दर्द की शिकायत है क्योंकि वे असहज रूप से सो रहे हैं। अब तक किसी को भी कोरोनावायरस से जुड़े लक्षणों की शिकायत नहीं है।

 

डॉक्टर का कहना है कि कई किसान मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और दवाओं के लिए उनसे संपर्क करते हैं। बता दें कि इस विरोध प्रदर्शन में अब तक दो किसानों की मौत हो चुकी है। अपने जीवन के लिए गंभीर खतरे के बावजूद, किसानों ने घोषित किया है कि वे तब तक नहीं हटेंगे जब तक कि कानून समाप्त नहीं हो जाता है।

आकाश भगत

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