Hariyali Teej 2025: पति की लम्बी आयु एवं सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए महिलाएं करती हैं हरियाली तीज व्रत

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आज हरियाली तीज व्रत है, इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां सजती संवरती हैं, हाथों में मेंहदी लगाती हैं, झूला झूलती हैं और सावन के गीत गाती हैं तो आइए हम आपको हरियाली तीज व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 
हिन्दू धर्म में हरियाली तीज केवल पर्व नहीं, बल्कि नारी शक्ति, प्रेम और तप का प्रतीक है। सावन की हरियाली और भक्ति का रंग महिलाओं के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह भर देता है। यदि आप भी इस वर्ष तीज का व्रत रख रही हैं, तो उसे पूरे श्रद्धा भाव और पारंपरिक विधि-विधान से करें—माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।

जानें हरियाली तीज व्रत के बारे में 

सनातन धर्म में हरियाली तीज का खास महत्व होता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां दोनों ही रखती हैं। हरियाली तीज पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। हरियाली तीज को श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं तो वहीं कुंवारी कन्‍याएं शिवजी जैसा सुयोग्‍य वर पाने के लिए व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज सावन मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। हरियाली तीज अबकी बार 27 जुलाई को है। हरियाली तीज पर शिव-पार्वती की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में सुख बना रहता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है।

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हरियाली तीज के अलावा हरितालिका तीज व्रत भी होता है। हरियाली तीज और हरतालिका तीज, दोनों ही नारी सौंदर्य, श्रद्धा और वैवाहिक प्रेम के पर्व हैं, लेकिन इनकी तिथि, व्रत की कठिनता और धार्मिक भावना में भिन्नता है।

हरियाली तीज एवं हरितालिका तीज के बीच में है विशेष अंतर  

हरियाली तीज श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है जब चारों ओर हरियाली छाई होती है। वहीं, हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है और यह हरियाली तीज के कुछ सप्ताह बाद आती है। दोनों व्रत अलग-अलग माह की तृतीया तिथि को मनाए जाते हैं।

हरियाली तीज व्रत का है खास उद्देश्य 

हरियाली तीज विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख के लिए रखा जाता है। हरे वस्त्र, मेंहदी, गीत-संगीत और झूले इस पर्व की पहचान हैं। इसके विपरीत, हरतालिका तीज व्रत का संबंध पार्वती जी की कठोर तपस्या से है। यह व्रत अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति और विवाहित महिलाएं पति की आयुष्मान कामना के लिए करती हैं।

जानें व्रत की कठोरता के बारे में 

हरितालिका तीज को अत्यंत कठिन व्रत माना गया है। इसमें निर्जला उपवास रखा जाता है, जिसमें दिन-रात न तो अन्न ग्रहण किया जाता है, न ही जल। जबकि हरियाली तीज में कुछ स्थानों पर फलाहार या जल सेवन की अनुमति दी जाती है। इस प्रकार तप और संयम की दृष्टि से हरतालिका तीज अधिक गहन मानी जाती है।

जानें हरियाली तीज 2025 का शुभ मुहूर्त  

हरियाली तीज का पर्व 2025 में 27 जुलाई, रविवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 26 जुलाई को रात 10:41 बजे से होगी और यह तिथि 27 जुलाई रात 10:41 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार व्रत और पर्व 27 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन एक विशेष संयोग भी बन रहा है— रवि योग, जो 27 जुलाई शाम 4:23 बजे से शुरू होकर 28 जुलाई सुबह 5:40 बजे तक रहेगा। पंडितों के अनुसार रवि योग में किया गया व्रत और पूजन अत्यंत शुभ और फलदायक होता है। हरियाली तीज विशेषकर सुहागिनों द्वारा पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-शांति के लिए रखा जाता है।

हरियाली तीज का धार्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का पावन दिन माना जाता है। इसी दिन माता पार्वती ने वर्षों की तपस्या के बाद शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया था। इस शुभ अवसर पर विवाहित महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र तथा सुखी दांपत्य जीवन के लिए माता पार्वती से प्रार्थना करती हैं।

ऐसे मनाया जाता है हरियाली तीज पर्व 

पंडितों के अनुसार महिलाएं हरे वस्त्र पहनती हैं जो हरियाली, सौभाग्य और समृद्धि के प्रतीक होते हैं। हाथों में मेहंदी रचाना इस दिन विशेष शुभ माना जाता है, कहा जाता है कि मेहंदी जितनी गहरी, पति का प्रेम उतना ही प्रगाढ़ होता है। इस दिन बिना जल और अन्न के निर्जला व्रत रखा जाता है यानी सिंदारा भेजने की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें मायके से विवाहित बेटियों के लिए कपड़े, मिठाई, चूड़ियां और श्रृंगार का सामान भेजा जाता है।

इन राज्यों में मनाई जाती है हरियाली तीज

हरियाली तीज के अवसर पर राजस्थान में पारंपरिक झांकियां, मेले और माता पार्वती की शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। पंजाब में ‘तियां’ नाम से प्रसिद्ध, महिलाएं लोकगीत गाती हैं और गिद्धा करती हैं। हरियाणा में राज्य सरकार की छुट्टी, स्कूल-कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। चंडीगढ़ में छात्र-छात्राएं नाटक, लोकनृत्य और फोक आर्ट्स की प्रस्तुतियां देते हैं।

हरियाली तीज पर पार्वती माता को अर्पित करें सुहाग की सामग्री

हरियाली तीज एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं, वे उनसे अपने सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। पंडितों के अनुसार इस दिन माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। पूजा में सबसे पहले भगवान शिव का गंगाजल या पवित्र जल से अभिषेक करें। फिर माता पार्वती को चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी और चुनरी जैसी चीजें अर्पित करें। इन चीजों से माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से दांपत्य जीवन में प्रेम, समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है। पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है, घर में सुख-शांति बनी रहती है और समृद्धि आती है।
– प्रज्ञा पाण्डेय
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