Jaya Ekadashi 2025: रवि योग में 8 फरवरी को रखा जायेगा जया एकादशी व्रत
हिंदू धर्म में एकादशी को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति इस लोक में समस्त सुख भोगकर मृत्य के बाद स्वर्ग में स्थान पाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 07 फरवरी को रात 09:26 मिनट पर हो रही है। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 08 फरवरी को रात 08:15 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में जया एकादशी व्रत 08 फरवरी को किया जाएगा। जया एकादशी के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही भद्रावास का भी संयोग है। इसके अलावा, रात में शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। ये महीने में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस तरह साल 24 एकादशी तिथियों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। हिंदू धर्म व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है। एकादशी व्रत का भी सभी व्रत में विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी व्रत हर माह में 2 बार पड़ता है एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस तरह से साल में 24 एकदशी पड़ती हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत की महिमा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को मोक्ष मिलता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है। अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता, शत्रुओं का नाश होता है, धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है।
इसे भी पढ़ें: Prayagraj Famous Temple: प्रयागराज संगम किनारे लेटे हनुमान मंदिर का है विशेष महत्व, आप भी जरूर कर आएं दर्शन
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सर्वोच्च माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति सच्ची श्राद्धा और भक्ति से इस व्रत को करते हैं उसकी सभी परेशानियों से उसे छुटकारा मिलता है। साल भर में आने वाली सभी एकादशियों का फल अलग-अलग मिलता है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। साथ ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की उपासना की जाती है। जीवन के पापों से छुटकारा पाने के लिए एकादशी व्रत को बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि माघ माह की जया एकादशी व्रत को करने से विष्णु जी की कृपा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 07 फरवरी को रात 09:26 मिनट पर हो रही है। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 08 फरवरी को रात 08:15 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में जया एकादशी व्रत 08 फरवरी को किया जाएगा।
शुभ योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि जया एकादशी के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही भद्रावास का भी संयोग है। इसके अलावा, रात में शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस शुभ अवसर पर मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र का संयोग है। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
पूजा विधि
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि जया एकादशी के दिन सूर्योदय के समय या पहले उठें। इस समय भगवान विष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। घर की साफ-सफाई करें। सभी कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर पीले रंग के कपड़े पहनें। अब सूर्य देव को जल अर्पित करें और पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा के समय भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल, मिठाई आदि चीजें अर्पित करें। इस समय विष्णु चालीसा और विष्णु स्तोत्र का पाठ करें। पूजा का समापन आरती से करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार करें। रात्रि में भगवान विष्णु के निमित्ति भजन-कीर्तन करें। अगले दिन पूजा-पाठ के बाद व्रत खोलें। इस समय जरूरतमंदों के बीच अन्न का दान करें।
यज्ञ से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
पुराणों और स्मृति ग्रंथ में एकादशी व्रत
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि स्कन्द पुराण में कहा गया है कि हरिवासर यानी एकादशी और द्वादशी व्रत के बिना तपस्या, तीर्थ स्थान या किसी तरह के पुण्याचरण द्वारा मुक्ति नहीं होती। पदम पुराण का कहना है कि जो व्यक्ति इच्छा या न चाहते हुए भी एकादशी उपवास करता है, वो सभी पापों से मुक्त होकर परम धाम वैकुंठ धाम प्राप्त करता है। कात्यायन स्मृति में जिक्र किया गया है कि आठ साल की उम्र से अस्सी साल तक के सभी स्त्री-पुरुषों के लिए बिना किसी भेद के एकादशी में उपवास करना कर्त्तव्य है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी पापों ओर दोषों से बचने के लिए 24 एकादशियों के नाम और उनका महत्व बताया है।
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक