देशभर में आज होली मनाई जा रही है। वाराणसी और मथुरा-वृंदावन में सड़कें रंग से सराबोर लोगों से भरी हुई हैं। अयोध्या, काशी, मथुरा में खूब रंग-गुलाल उड़ा।

 

काशी में होली का खुमार : महादेव की नगरी काशी में होली का खुमार सुबह से देखने को मिल रहा है। जगह-जगह युवाओं और बच्चों की टोली संगीत की धुन पर थिरकती दिखाई दी।

 

काशी के गोदौलिया चौराहे पर युवाओं की भीड़ सुबह से ही एक दूसरे पर रंग डालती और संगीत पर थिरकती नजर आई। काशीवासियों के साथ ही बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी होली के खुमार में सराबोर रहे। काशी के घाटों पर भी होली का अद्भुत नजारा दिखाई दिया और लोग रंगों के त्यौहार का भरपूर जश्न मनाते नजर आए।

 

बटुक भैरव मंदिर के महंत जितेंद्र मोहन पुरी ने बताया कि काशी में होली रंग भरी एकादशी से ही शुरू हो जाती है जो इस साल 20 मार्च को थी।

 

उन्होंने कहा कि एकादशी के दिन ही महादेव माता पार्वती का गौना कराकर काशी लाये थे और उस दिन महादेव ने गुलाल की होली खेली थी तथा उस दिन से होली तक काशी में रंग और उल्लास का माहौल रहता है।

 

उन्होंने बताया कि रंग भरी एकादशी के दूसरे दिन महादेव ने श्मशान में भूत, प्रेत पिशाच सहित अपने गणों के साथ चिता भस्म की होली खेली थी और तभी से चिता भस्म की होली खेलने की परंपरा शुरू हुई।

 

 

 

 

 

अयोध्या में रामलला की पहली होली : अयोध्या स्थित राम मंदिर में सोमवार को भव्य होली उत्सव मनाया जा रहा है। सुबह ही अलग-अलग जगहों से लोग मंदिर पहुंचे और उन्होंने मूर्ति पर रंग और गुलाल चढ़ाया।

 

अपने आराध्य को होली पर रंग चढ़ा कर आह्लादित हुए भक्तों के उल्लास से पूरा राम जन्मभूमि परिसर रंगों के त्योहार की खुशी में डूब गया।

 

राम मंदिर के प्रांगण में पुजारियों ने मूर्ति पर पुष्प वर्षा की और भगवान के साथ होली खेली। साथ ही राग भोग और श्रृंगार के तहत भगवान को अबीर-गुलाल अर्पित किया गया।

 

पुजारियों ने भक्तों के साथ होली के गीत गाए और रामलला को प्रसन्न करने के लिए मूर्ति के सामने नृत्य किया।

 

राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने पीटीआई से कहा, “रामलला मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली होली मनायी जा रही है। रामलला की आकर्षक मूर्ति को फूलों से सजाया गया है, माथे पर गुलाल लगाया गया है। इस अवसर पर रामलला की मूर्ति ने गुलाबी पोशाक पहनी थी।” ब्रज का कोना कोना बना इंद्रधनुषी : बांके बिहारी लाल की नगरी मथुरा में होली के मौके पर अबीर गुलाल की इस कदर आंधी चली कि ब्रज का कोना कोना इंद्रधनुषी बन गया।

 

 

 

 

 

 

मथुरा जिले के फालेन गांव में सोमवार तड़के हजारों की भीड़ के बीच 30 वर्षीय मोनू पंडा गांव में बनाई गई विशाल होली के ऊपर से इस प्रकार से निकला जैसे वह फूल की पंखुड़ियों के ऊपर चल रहा हो। होली से निकलने के तुरंत बाद उसने कहा कि उसे किसी प्रकार की परेशानी नही हुई है। मोनू पिछले तीन साल में इसी प्रकार जलती होली से निकल चुका है। वह चार बजे होली की लपटों से निकला था।

 

गोपाल मन्दिर के महन्त बालकदास ने बताया कि मोनू ने होली से निकलने के पहले लगातार कई घंटे तक हवन किया तथा हवन के बगल में रखे दीपक पर बार बार हथेली रखकर उसकी गर्मी का अंदाज किया । उसे जब दीपक लौ शीतल लगने लगी तो उसने होली में आग लगाने का संकेत दिया तथा स्वयं निकट के प्रहलाद कुंड में स्नान किया। इसके बाद उसकी बहन ने करूए से कुंड से होली तक आने के मार्ग पर जल छिड़का और फिर वह पलक झपकते ही निकल गया।

 

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेष कुमार पाण्डे ने भी पंडे के होली से सकुशल निकलने की पुष्टि की और कहा कि यह धार्मिक अनुष्ठान बिना किसी घटना के सकुशल सम्पन्न हो गया।

 

आज तीर्थयात्रियों का सबसे अधिक जमावड़ा गोवर्धन में था तथा वहां पर इतना अधिक गुलाल उड़ा कि आसमान इन्द्रधनुषी बन गया।

 

गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर आन्योर और जतीपुरा में छोटे छोटे बच्चों ने परिक्रमार्थियों को रंग से गीला किया तो परिक्रमार्थी इतना भाव विभोर हुए कि वे नृत्य कर उठे। उन्होंने इस रंग को ठाकुर का प्रसार माना तथा बच्चों को मिठाई एवं गुझिया भी दी।

 

 

 

 

बल्देव में राऊ जी मन्दिर के प्रांगण में आज दहनावर का आयोजन किया गया ।दहनावर में कल्याणदेव परिवार की हर आयु वर्ग की बहुएं अपने देवर के साथ कई घंटे तक नृत्य कर रही थीं। मन्दिर के प्रबंधक कन्हैया शर्मा के अनुसार मन्दिर में 26 मार्च को होने वाले हुरंगा , जो एक प्रकार की होली ही है, की व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

 

भाव-विभोर हुए श्रद्धालु : मथुरा में द्वारकाधीश मन्दिर में आज भक्तों ने ठाकुर के साथ दो घंटे तक जमकर होली खेली। मन्दिर के गर्भगृह में पहले श्यामाश्याम ने होली खेली तथा बाद में मन्दिर के पुजारी ने जगमोहन से सोने और चांदी की पिचकारी से यही रंग श्रद्धालुओं पर डाला तो वे भाव विभोर हो गए।

 

मन्दिर के जनसंपर्क अधिकारी राकेश तिवारी ने बताया कि रंग खेलने के कारण आज लाला ने विश्राम नही किया इसलिए मन्दिर आज शाम साढ़े चार बजे ही बन्द हो जाएगा। वृन्दावन के बांकेबिहारी मन्दिर और सप्त देवालयों में रविवार को शयन के दर्शन के बाद रंग का चलना बंद हो गया था।

 

बांकेबिहारी मन्दिर के सेवायत ज्ञानेन्द्र गोस्वामी ने बताया कि मन्दिर के बाहर तीर्थयात्रियों ने जमकर होली खेली तथा मथुरा के रसिया पर नृत्य भी किया। उन्होंने बताया कि ठाकुर ने जहां आज बालभोग में मूंग की दाल का हलुवा और एक विशेष प्रकार का व्यंजन अघौटा खाया वही दोपहर बाद उन्होंने चाट का आनन्द लिया। चाट के व्यंजनों में ठाकुर के लिए गोलगप्पे, कांजी बड़ा , दही बड़ा, आलू की टिकिया, पकौड़ी, मूंग की दाल का चीला आदि तैयार किये गए थे।

 

शुचिता के लिए मशहूर राधारमण मन्दिर में आज राजभोग के समय भक्तेंा पर प्रसाद स्वरूप रंग गुलाल डाला गया और उनमें जलेबी का प्रसाद वितरित किया गया। आज ही मन्दिर में दोपहर बाद चैतन्य महाप्रभु का जन्म दिन मनाया गया । पहले उनका अभिषेक किया गया और बाद में लोगों ने कौपीन और उस वस़्त्र के दर्शन किये जिसे चैतन्य महाप्रभु ने अपने शिष्य और राधारमण मन्दिर के स्वयं प्राकट्य विगृह को नेपाल से वृन्दावन लानेवाले गोपाल भट्ट गोस्वामी को दिया था। उन्होंने बताया कि मन्दिर में रविवार शयन भोग के बाद रंग के चलाने पर प्रतिबंध लगाया गया था।

 

मथुरा जंक्शन स्टेशन आज तीर्थयात्रियों से खचाखच भरा हुआ था। उत्तर मध्य रेलवे ने पहले से ही उनके लिए अतिरिक्त रेलगाड़ियां चला रखी हैं। स्टेशन निदेशक एस के श्रीवास्तव ने बताया कि तीर्थयात्रियों की संख्या को देखते हुए अतिरिक्त टिकट काउन्टर खोले गए हैं तथा तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए अधिकारी 24सो घंटे लगाए गए हैं। अगर जरूरत पड़ी तो अतिरिक्त रेलगाड़ी भी किसी भी स्थान के लिए चलाई जा सकती है।

 

सोमवार की शाम को भगत सिंह पार्क में होली मिलन समारोह आयोजित किया गया था जिसमें लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर होली की बधाई दी। कुल मिलाकर ब्रजभूमि होली के रंग में ऐसी रंगी कि यहां आनेवाले तीर्थयात्री धन्य हो गए।

आकाश भगत

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