Ganesh Chaturthi 2023: आज मनाया जा रहा गणेश चतुर्थी का पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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गणों के अधिपति भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। भगवान गणेश की पूजा के बाद अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। लोक मंगल भगवान गणेश का उद्देश्य होता है, लेकिन जहां भी अमंगल होता है, उसे दूर करने के लिए श्री गणेश अग्रणी होते हैं। भगवान गणेश ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं। इसलिए उनकी कृपा से व्यक्ति को कभी संपदा और समृद्धि का अभाव नहीं होता है। आज यानी की 19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक श्री गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करने का शुभ समय 19 सितंबर को सुबह 10:49 मिनट से दोपहर 01:16 मिनट तक रहेगा।

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भगवान गणेश को चढ़ाएं ये चीजें
बुद्धि के देवता कहे जाने वाले भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है। गणपति का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त उनका सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से आराधना करते हैं। हालांकि भगवान गणेश की पूजा के दौरान छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए। गणपति को मोदक, दूर्वा और घी जरूर चढ़ाना चाहिए। यह तीनों चीजें भगवान गणेश को अतिप्रिय हैं। 
निषेध है चंद्र दर्शन
मान्यता के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करता है, उस पर बिना वजह झूठा आरोप लगता है। बताया जाता है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन किया था। जिसके कारण उन पर मिथ्या आरोप लगे थे। इस कारण गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति को इस दिन चंद्र दर्शन हो जाएं, तो इसके निवारण के लिए ‘सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः, सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।’ मंत्र का 28, 54 या 108 बार जाप करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि
आज के दिन व्यक्ति को सुबह जल्दी स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
फिर सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
इसके बाद चौकी पर लाल आसन बिछाएं और उस पर भगवान गणेश जी को विराजमान करें।
गणपति को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं।
जिनमें से गणेश जी को 5 लड्डू अर्पित करें और बाकी लड्डू गरीबों में दान कर दें।
अब गणपति की पूजा कर गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा और आरती करें। 
फिर अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चंद्रदेव को अर्घ्य दें।
गणेश चतुर्थी के दिन व्रत का भी विधान है। 

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