Kark Sankranti 2023: कर्क संक्रांति पर पुण्यकाल में करें स्नान-दान, सूर्य सा चमक उठेगा आपका भाग्य
आज यानी की 16 जुलाई 2023 को कर्क संक्रांति मनाई जा रही है। बता दें कि हिंदू धर्म में यह तिथि बेहद खास मानी जाती है। मान्यता के अनुसार, कर्क संक्रांति के दिन से भगवान सूर्य नारायण एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। वहीं ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहों के राजा भगवान सूर्य इस दिन से कर्क राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। आज से ही यानी की 16 जुलाई 2023 से सूर्य देव का दक्षिणायन शुरू हो जाएगा। आज की तिथि से करीब 6 महीने तक सूर्य देव दक्षिण दिशा की ओर गति करते रहेंगे।
इस खास दिन पर सूर्य नारायण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। जिससे आपकी आयु, आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है और शारीरिक दुर्बलता भी दूर होती है। इसके साथ ही व्यक्ति की मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। बता दें कि कर्क संक्रांति की तिथि पर गरीबों व जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा देने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप भी भगवान सूर्य देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा करें। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, पुण्य काल और इसके प्रभाव के बारे में…
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पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2023 को मनाई जा रही है। लेकिन इस साल 17 जुलाई 2023 को ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य देव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करेंगे। इस दिन यानी की 17 जुलाई को सूर्य देव सुबह 05:59 मिनट पर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना ही संक्रांति कहलाता है।
पुण्य काल – दोपहर 12:27 – रात 07.21
महा पुण्य काल – शाम 05.03 – रात 07.21
स्नान-दान समय
कर्क संक्रांति के दिन आप महापुण्य काल में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है। स्नान के बाद सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा करें और उनसे संबंधित वस्तुओं का दान करें। इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इससे आपको सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होगी।
कर्क संक्रांति का प्रभाव
बता दें कि घोर नामक कर्क संक्रांति कष्टपूर्ण समय ला सकते है। इस दौरान आपको अपने वस्तुओं की रक्षा स्वयं करनी पड़ सकती है। क्योंकि इस दौरान चोर सक्रिय हो जाते हैं। वहीं सूर्य के राशि परिवर्तन के कारण लोगों को जुकाम, खांसी या ठंड से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा देशों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है। साथ ही वस्तुओं की लागत भी कम हो सकती है।