झारखण्ड में क्यों हो रहा यूसीसी का विरोध, जानें किसने क्या कहा !

0

आदिवासियों का क्या करेगी सरकार : आदिवासी समुदाय भी समान नागरिक संहिता के पक्ष में नहीं है। दरअसल, हिन्दू विवाह अधिनियम 1955, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 और हिन्दू दत्तकता और भरण-पोषण अधिनियम 1956 की धारा 2 (2) और हिन्दू वयस्कता और संरक्षता अधिनियम अधिनियम 1956 की धारा 3 (2) अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होते। इसकी बड़ी वजह ये भी है कि जनजातियों और उप-जनजातियों में विवाह आदि से जुड़ी अलग परंपराएं हैं।

 

 

बहुविवाह के मामले में 2001 में उच्चतम न्यायालय ने भी एक फैसले में कहा था कि जनजाति से जुड़े लोग हिंदू धर्म मानते हैं, लेकिन ये हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 2 (2) के दायरे से बाहर हैं। अत: IPC की धारा 494 के लिए इन्हें दोषी नहीं माना जा सकता। 2005 में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जनजाति के लोग अपने समुदाय के रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कर सकते हैं।

 

 

आदिवासियों का विरोध शुरू : झारखण्ड के 30 आदिवासी संगठनों ने यूसीसी का विरोध किया है। उनका मानना है कि यूसीसी यदि लागू होता है तो इससे उनकी प्रथागत परंपराएं खत्म हो जाएंगी। साथ ही जमीन से जुड़े छोटानगपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट पर भी इसका असर होगा। जनजाति बहुल पूर्वोत्तर के राज्यों में भी इसका विरोध शुरू हो गया है। मिजोरम के मुख्‍यंमत्री कोनराड संगमा ने भी देश की विविधता वाली संस्कृति का हवाला देते हुए इसका विरोध किया है। संगमा की सरकार को भाजपा का समर्थन है। पूर्वोत्तर के अन्य जनजाति समूह भी इस कोड के विरोध में हैं।

 

 

किसने क्या कहा?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा- एक ही परिवार में दो लोगों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते। ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा?

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री और नेकां नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यूसीसी को लागू करने से पहले इसके परिणामों के बारे में सरकार को सोचना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि तूफान आ जाए।

कांग्रेस नेता मीम अफजल ने कहा- यह यूसीसी नहीं है, यह डीसीसी यानी डिवाइडिंग सिविल कोड है। सरकार का एजेंडा देश के लोगों को बांटना है।

मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- लगता है मोदी जी ओबामा की नसीहत को ठीक से समझ नहीं पाए। क्या मोदी हिन्दू अविभाजित परिवारको खत्म करेंगे? इसकी वजह से देश को 3064 करोड़ रुपए का हर साल नुकसान हो रहा है।

एसजीपीसी ने कहा कि खालसा की हस्ती आजाद व अलग है। इस पर कोई कोड लागू नहीं होता। इस कोड के लागू होने से हमारी संस्कृति खत्म हो जाएगी।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रमुख मौलाना फिरंगी महली ने कहा कि बोर्ड यूसीसी का विरोध करेगा और विधि आयोग के समक्ष मजबूती से अपनी दलीलें पेश करेगा।

भाजपा नेता मुख्‍तार अब्बास नकवी ने कहा कि यूसीसी जैसे प्रगतिशील कानून पर सांप्रदायिक राजनीति को अंतरात्मा की आवाज सुनना ही एकमात्र करारा जवाब है। यूसीसी सभी के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित करेगा।

ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव यासूब अब्बास ने कहा कि हम लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। सरकार यूसीसी न लाए तो ज्यादा बेहतर है। मुल्क की खूबसूरती इसीलिए है क्योंकि यहां सब एक साथ रहते हैं।

 

Report: Input

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *