Yogini Ekadashi Vrat: योगिनी एकादशी व्रत से घर में आती है खुशहाली

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आज योगिनी एकादशी है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है, तो आइए हम आपको योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें योगिनी एकादशी के बारे में
हिन्दू धर्म के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी का व्रत रख जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पंडितों का मानना है कि इस दिन व्रत रखने से घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। इसके साथ ही सौभाग्य बढ़ता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही साधक एकादशी तिथि पर व्रत-उपवास भी रखते हैं। इस व्रत के कई कठोर नियम हैं। इन नियमों का पालन करने से साधक को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अतः एकादशी तिथि पर भगवान की भक्ति श्रद्धा भाव से करनी चाहिए। एकादशी तिथि पर विशेष उपाय भी किए जाते हैं। इन उपायों को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 
योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त 
योगिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 2 मिनट से 4 बजकर 43 मिनट तक है। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल रात्रि 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 39 मिनट तक। अमृत काल सुबह 7 बजकर 7 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक।

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योगिनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं 
शास्त्रों के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत करने से 80 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है। यह एकादशी सभी पाप से मुक्ति दिलाती है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से मृत्यु बाद विष्णु कृपा से व्यक्ति को मोक्ष मिल जाता है। बीमार व्यक्ति की बीमारी खत्म हो जाती है।
योगिनी एकादशी व्रत की पौराणिक कथा
योगिनी एकादशी व्रत से जुड़ी कथा के अनुसार स्वर्ग के अलकापुरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था, हर रोज वह सुबह महादेव की पूजा करता था। महादेव की पूजा के लिए हेम नामक माली फूल लेकर आता था। हेम की पत्नी विशालाक्षी थी, जो बहुत ही सुंदर थी। एक दिन हेम मानसरोवर से फूल लेकर आया लेकिन पत्नी से बात करने में वह फूल लेकर जाना भूल गया। दूसरी ओर राजा माली का इंतजार करता रहा। दोपहर तक जब माली नहीं आया तो राजा ने अपने सिपाहियों को माली के घर भेजा। ताकि पता लगे कि वह क्यों नहीं आया? सिपाही हेम के घर गए तो उन्होंने देखा कि वह अपनी पत्नी के साथ हंसी मजाक कर रहा है। सिपाही लौट कर आए तो उन्होंने राजा को बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ बातों में इतना व्यस्त है कि भगवान शिव के लिए फूल लाना भूल गया। इस पर राजा काफी नाराज हो गए। उन्होंने हेम को दरबार में बुलाया। वह दरबार में डर से कांप रहा था। राजा ने क्रोध में कहा कि तुम पापी और अधर्मी हो। शिव पूजा के लिए फूल लेकर नहीं आए। तुमने भगवान भोलेनाथ का अनादर किया है। तुम श्राप के योग्य हो. राजा ने हेम को श्राप दिया कि वह पृथ्वी लोक पर जाकर कोढ़ी होगा और पत्नी का वियोग सहन करेगा।
इन उपायों से होगा लाभ
आप भी इच्छा पूर्ति हेतु योगिनी एकादशी पर ये उपाय जरूर करें। इन उपायों को करने से करियर और कारोबार को नया आयाम प्राप्त होगा। अगर घर में वास्तु दोष लगा है, तो आज हल्दी युक्त जल या गंगाजल का छिड़काव घर में करें। इससे वास्तु दोष दूर होता है। इस समय ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ‘ मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के प्रभाव से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। अगर आप अपने करियर को नया आयाम देना चाहते हैं, तो आज श्रद्धा भाव से लक्ष्मी नारायण की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय नारायण कवच का पाठ करें। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ज्ञान प्रदान करते हैं। वहीं, मां लक्ष्मी धन प्रदान करती हैं। आप यदि भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आज तुलसी माता की पूजा अवश्य करें। जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी माता अति प्रिय हैं। अतः उनकी पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। ऐसे साधकों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है। पंडितों का मानना है कि पीपल के वृक्ष में लक्ष्मी नारायण का वास होता है। साथ ही अन्य देवी देवता और पितृ भी पीपल के पेड़ में निवास करते हैं। अतः योगिनी एकादशी पर पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करें। पीपल के पेड़ को जल का अर्घ्य दें। साथ ही घी का दीपक जलाकर आरती करें। इससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
योगिनी एकादशी के दिन ऐसे करें पूजा 
योगिनी एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एकादशी व्रत का संकल्प करें। घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाएं और उस पर 7 धान (उरद, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें। 5 आम या अशोक के पत्ते कलश में रखकर वेदी पर रख दें। अब वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। उसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, मौसमी फल और तुलसी की दाल चढ़ाएं। फिर अगरबत्ती का प्रयोग कर विष्णु जी की आरती करें। शाम को भगवान विष्णु की आरती करने के बाद फल लें। रात को सोने के बजाय भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें। अगली सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और जितना हो सके उतना दान और दक्षिणा देकर उसे विदा करें। इसके बाद अपना खुद का खाना खाकर व्रत तोड़ें।
– प्रज्ञा पाण्डेय

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