Ganga Saptami 2023: आज के दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं मां गंगा, स्नान-दान से दूर होंगे सभी दोष

0
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इसलिए इसे गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि गंगा जयंती के मौके पर जो लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं, उन्हें पुण्यफल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं गंगा जयंती का शुभ मुहूर्त, महत्व और कथा के बारे में…
गंगा सप्‍तमी की तिथि
वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की सप्‍तमी की शुरूआत 26 अप्रैल 2023 की सुबह 11:27 मिनट पर हुआ है। वहीं 27 अप्रैल यानि की आज 1:38 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। आपको बता दें कि गंगा नदी में स्नान करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त को सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। इसलिए 27 अप्रैल को ही गंगा सप्‍तमी मनाई जाएगी और इसी दिन गंगा स्नान किया जाएगा।

इसे भी पढ़ें: वैवाहिक सुख और वैभव देने वाले शुक्र 2 मई को करेंगे राशि परिवर्तन, जानिए किन राशियों पर होगा इसका असर

जानें क्या है गंगा सप्‍तमी का महत्‍व
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक आज ही के दिन यानी कि वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मां गंगा स्वर्ग से भगवान शंकर की जटाओं में समाहित हुई थीं। इसीलिए इस दिन को गंगा जयंती या गंगा सप्तमी के तौर पर मनाया जाता है। वैशाख शुक्ल सप्तमी को मां गंगा की उत्पत्ति के तौर पर और गंगाजी के पृथ्वी पर आने वाले दिन को ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन गंगा नदी में स्नान आदि और पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को रिद्धि-सिद्धि और यश-सम्मान की प्राप्ति होती है। 
आज के दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता के अनुसार, गंगा जयंती के दिन मांगलिक दोष से ग्रस्‍त जातक यदि गंगा में स्नान आदि करता है, तो उसके सभी दोष दूर हो जाते हैं। इसके अलावा जातक को विशेष लाभ भी प्राप्त होता है।
गंगा के जन्म की कथाएं
गंगा नदी को हमारे धर्म में मां का दर्जा दिया गया है। उनके जन्म को लेकर कई तरह की कथाएं सुनने को मिलती हैं। एक कथा के अनुसार, राक्षस बलि से संसार को मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। राक्षस बलि से संसार को मुक्त करने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोकर उस जल को अपने कमंडल में भर लिया था। फिर उसी जल से गंगा का जन्म हुआ था। 
वहीं दूसरी कथा के मुताबिक जब भगवान भोलेनाथ ने ब्रह्मदेव, भगवान विष्णु और नारद मुनि के सामने गाना गया। तो इस गाने के प्रभाव से भगवान श्रीहरि विष्णु का पसीना बहने लगा। उस पसीने को ब्रह्माजी ने अपने कमंडल में भर लिया। जिसके बाद इसी कमंडल के जल से गंगा का जन्म हुआ।
गंगा के अवतरण की एक और कथा प्रचलित है। इस कहानी के अनुसार, भगवान विष्णु के अंगूठे से गंगा निकली हैं। राजा सगर के 60,000 पुत्रों की अस्थियों का उद्धार करने के लिए गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था। कपिल मुनि के शाप की वजह से राजा सगर के पुत्र भस्म हुए थे। अपने पुत्रों के उद्धार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या की थी। इस तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा भगीरथ के साथ धरती पर आई थीं। राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का गंगा के स्पर्श मात्र से उद्धार हुआ। इसी कारण आज भी लोग गंगा को भागीरथी नाम से भी पुकारते हैं।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed