जामताड़ा के बाद अब दुमका जिले के 33 स्कूलों में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश

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झारखण्ड/दुमका : राज्य की उपराजधानी दुमका के लगभग 33 सरकारी स्कूलों में बिना किसी अनुमति के साप्ताहिक अवकाश रविवार से बदलकर शुक्रवार को कर दिया गया। दुमका के जिल शिक्षा अधीक्षक संजय कुमार दास ने कहा कि इन सभी स्कूलों के नामों में ‘उर्दू’ शब्द है।

 

 

संजय कुमार दास ने कहा कि हमने खंड शिक्षा अधिकारी से पत्र लिखकर इस मामले की जांच करने का आग्रह किया है। इस बात की पड़ताल की जा जाएगी कि किस आधार पर इन स्कूलों ने अपने नाम के साथ ‘उर्दू’ को जोड़ा और किन परिस्थितियों में स्कूलों के साप्ताहिक अवकाश को रविवार से बदलकर शुक्रवार किया गया। शिक्षा विभाग की ओर से भी शुक्रवार को स्कूल बंद रखने का कोई आदेश नहीं दिया गया। दास ने कहा कि उच्चाधिकारियों से अनुमति मिलते ही हम आगे की जांच शुरू करेंगे।

 

 

 

 

 

  • जामताड़ा के 40 स्कूलों में भी शुक्रवार को अवकाश

इसी तरह बीते बुधवार एक अधिकारी ने बताया था कि झारखंड के जामताड़ा जिले के करीब 40 स्कूलों ने भी लिखित नोटिस जारी करते हुए कहा है कि इन सभी स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश को रविवार से बदलकर शुक्रवार किया जाएगा।

 

जामताड़ा के जिला शिक्षा अधिकारी अभय शंकर ने मीडिया को बताया था कि इन सभी प्राइमरी स्कूलों पर लॉकडाउन के दौरान ऐसा करने का दबाव डाला गया था। साथ ही जिला शिक्षा प्रबंधन समिति भी भंग कर दी गई थी। जल्द ही नई समिति का गठन किया जाएगा।

 

इस पर झारखण्ड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय कुमार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखते हुए कहा था कि ऐसे फैसले लेने वाले आसामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो जिले के कुछ युवाओं ने 2-3 स्कूलों के प्रशासन पर साप्ताहिक अवकाश के नियम में बदलाव करने के लिए दबाव डाला था। इन युवाओं ने ये दावा भी किया था कि इन स्कूलों में मुस्लिम आबादी 70% से ज्यादा है। इसके बाद  जिले के 50 अन्य स्कूलों ने भी ऐसा ही किया।

  • स्कूलों में बच्चों को प्रार्थना के दौरान हाथ जोड़ने पर भी रोक

कुछ दिनों पहले, नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने एक नोटिस जारी करते हुए कहा था कि झारखंड के गढ़वा जिले के कुछ युवाओं ने एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर पर स्कूल की प्रार्थना को ‘दया कर दान विद्या’ से ‘तू ही राम, तू ही रहीम’ करने के लिए दबाव डाला था।

 

झारखण्ड के कोरवाड़ी गांव के एक स्कूल पर भी ये आरोप लगाया गया था कि वहां बच्चों को प्रार्थना के दौरान हाथ जोड़ने से रोका जा रहा है।

 

 

 

 

  • जनसाधारण की सुविधा के मद्देनजर लिया गया फैसला: जामताड़ा MLA इरफान अंसारी

इस मामले के बाद से झारखण्ड की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। झारखण्ड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, झारखण्ड बीजेपी अध्यक्ष दीपक प्रकाश सहित कई अन्य बीजेपी नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप लगाया है कि वे कुछ खास लोगों को खुश करने के लिए अपने हिसाब से कानूनों में बदलाव कर रहे हैं।

 

इस पर सफाई देते हुए जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि यह फैसला जिले की लोकल जनता की सुविधा के हिसाब से लिया गया है। बीजेपी बेवजह इसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगी हुई है।

आकाश भगत

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