रूस के खिलाफ पारित हुआ निंदा प्रस्ताव, पहली बार भारत और पाकिस्तान UN में एक लाइन पर आए
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भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध कभी समान्य नहीं रहे हैं। भारत के दुश्मन देशों में शामिल पाकिस्तान हमेशा भारत के खिलाफ साजिशें करता रहता हैं दोनों देशों के बीच अब तक चार युद्ध हो चुके हैं लेकिन बॉर्डर पर पाकिस्तान की तरफ से हमेशा सीज फायर का उल्लंघन किया जाता रहता है। तमाम विवादों के बाद एक चीज है जो दोनों देशों के बीच समान्य है वो है रशिया के साथ दोनों देशों के संबंध। पहली बार भारत और पाकिस्तान किसी मुद्दे पर एक मत हुए हैं। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कई दिनों से जंग जारी है। 24 फरवरी को रूस ने पहला आक्रमण करके जंग का ऐलान किया था। युद्ध एक हफ्ते से चल रहा है। यूक्रेन की राजधानी को पर रूसी सैनिक कभी भी कब्जा कर सकते हैं। ऐसे में यूक्रेन के प्रति रशिया के आक्रामक रवैये से पूरा विश्व हैरान है। रूस से लगातार जंग को खत्म करने की अपील की गयी लेकिन रूस पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। रशिया से साफ शब्दों में नाटो देशों और अमेरिका को चेताया है कि अगर उनके बीच कोई और आया तो विश्व को विनाशकारी परिणामों का सामना करना होगा। ऐसे में संधियों के तहत कोई देश यूक्रेन की सैन्य मदद नहीं कर सकता है।
- रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव
अब रूस पर विश्व की तरफ से बाहरी दबाव बनाया जा रहा है। कई कड़े प्रतिंबध रूस पर लगाए गये हैं। भारत ने बुधवार को यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया। मॉस्को और कीव के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर एक सप्ताह से भी कम समय में संयुक्त राष्ट्र में लाए गए तीसरे प्रस्ताव में भारत ने भाग नहीं लिया। वहीं, 193 सदस्यीय महासभा ने बुधवार को यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करने के लिए मतदान किया और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की।
भारत और पाकिस्तान पहली बार किसी मुद्दे पर हुए एक मत
प्रस्ताव के पक्ष में 141 वोट पड़े जबकि 35 सदस्यों ने मतदान में भाग नहीं लिया और पांच सदस्यों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया। इन पाँचों में एक ख़ुद रूस भी है। 35 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इनमें भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका भी शामिल हैं। प्रस्ताव पारित होने पर महासभा में तालियां बजाई गईं। प्रस्ताव के महासभा में पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। प्रस्ताव में परमाणु बलों को मुस्तैद करने के रूस के फैसले की भी निंदा की गई। साथ ही यूक्रेन के खिलाफ बल के इस गैरकानूनी उपयोग में बेलारूस की भागीदारी की भी निंदा की गई। प्रस्ताव में राजनीतिक वार्ता, मध्यस्थता और अन्य शांतिपूर्ण तरीकों से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के तत्काल शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह किया गया है।
- रूस पर विश्न ने लगाये कड़े प्रतिबंध
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और उसके सहयोगी देशों ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस के खिलाफ वैश्विक अर्थव्यवस्था को हथियार बनाया है और इसके नतीजन बहुत तेजी से उसकी अर्थव्यवस्था की कमर टूट रही है। इन प्रतिबंधों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आसमान छूती महंगाई के खिलाफ रक्षात्मक रवैया अपनाने पर विवश कर दिया है। रूस के केंद्रीय बैंक ने अपने पास उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर रूबल को तेजी से गिरने से रोकने की कोशिश की। रूस पर और अधिक वित्तीय पाबंदियां लगाने की कवायद चल रही है। यूक्रेनी संसद ओलेक्सांद्र उस्तिनोवा ने मंगलवार को अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात कर कहा कि अगर यूक्रेन को रूसी हमलों को रोकना है तो तत्काल और प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह काम करता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यूक्रेन में लोग बंदूकें लेने के लिए कतार में खड़े हो रहे हैं। रूस में लोग एटीएम में खड़े हो रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि आने वाले दो दिनों या इससे भी कम वक्त के बाद वे पैसा नहीं निकाल पाएंगे।