पाकिस्तान प्रायोजित ‘पांचवीं पीढ़ी के युद्ध’ को भारत ने ऐसे किया विफल, अब इमरान को भुगतना पड़ेगा खामियाजा!

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पाकिस्तान प्रायोजित 'पांचवीं पीढ़ी के युद्ध' को भारत ने ऐसे किया विफल, अब इमरान को भुगतना पड़ेगा खामियाजा!
कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का प्रोपोगेंडा बुरी तरह से फेल हो गया। या फिर कहे कि भारत के लोगों और सरकार ने इसे फेल कर दिया। कश्मीर के नाम पर दुनियाभर में आंसू बहाने वाले पाकिस्तान ने 5 फरवरी को कश्मीर एकजुटता दिवस मनाया था। सोचा तो ये था कि पूरी दुनिया और कश्मीर का समर्थन मिलेगा। लेकिन उसे लानतें मिली। वैसे तो कश्मीर के मामले में पूरी दुनिया पाकिस्तान का आंतकी एजेंडा समझती है। इसीलिए साथ नहीं आती है। लेकिन लोगों को झांसे में लेने के लिए उसने कुछ ट्वीट के जरिये ये जताना चाहा कि बड़ी-बड़ी कंपनियां इस मसले पर उनका समर्थन कर रही हैं। लेकिन जब पाकिस्तान से ट्वीट सामने आए तो विवाद खड़ा हो गया।
  • कश्मीर एकजुटता दिवस क्या है?
कश्मीर एकजुटता दिवस की शुरुआत पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी समूह जमात-ए-इस्लामी ने 1990 में की थी। यह प्रचार कश्मीर और कश्मीरियों के नाम पर किया गया है, हालांकि, इसका कश्मीरियों के कल्याण से कोई संबंध नहीं है बल्कि कई दशकों से निर्दोष कश्मीरियों को मारने के लिए आतंकवादी भेजने वाले प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों द्वारा प्रायोजित है। भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने के लिए पाकिस्तान ने इस तरह के की नाकाम कोशिश की है और कश्मीर मुद्दे को जिंदा रखने की विपल साजिश का भी हिस्सा है। पाकिस्तानी सरकार हाफिज सईद जैसे कुख्यात आतंकवादियों को अपने कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बुलाती है जो अपने आप में इस काल्पनिक घटना को मनाने के पीछे उनकी मंशा का संकेत है।

 

 

 

 

  • पाक का प्रोपोगेंडा
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में इस दिन पाकिस्तान के खिलाफ ही खूब नारेबाजी हुई थी। लेकिन पाकिस्तान दुनिया की नजरों से ये सब छुपाकर कुछ फर्जी ट्विट दिखाने की कोशिश की। 5 फरवरी को, अचानक सोशल मीडिया पर ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ की चर्चा होने लगी, क्योंकि पाकिस्तान स्थित विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सोशल मीडिया हैंडल ने कश्मीर एकजुटता दिवस के बारे में पोस्ट करना शुरू कर दिया। हुंडई, सुजुकी, होंडा, केएफसी, किआ, टोयोटा, इसुजु, डोमिनोज, पिज्जा हट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पाकिस्तानी डीलरशिप ने ये ट्वीट किए। जैसा कि अपेक्षित था, इस पर भारत की ओर से एक अत्यंत तीखी प्रतिक्रिया हुई और लोगों ने भारत में इन सभी कंपनियों के बहिष्कार की मांग करना शुरू कर दिया।
  • पाकिस्तान का 5वीं पीढ़ी का वारफेय
जैसा कि हम जानते हैं, ये सभी ट्वीट या पोस्ट संबंधित बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पाकिस्तानी डीलरशिप द्वारा किए गए थे। इनमें से अधिकांश की डीलरशिप का स्वामित्व पाक सेना के पूर्व अधिकारियों, राजनेताओं और प्रभावशाली व्यापारियों के पास है। आलम ये है कि इन कंपनियों के पाकिस्तान में हेड ऑफिस या मैन्युफैक्चरिंग प्लांट तक नहीं हैं। पाकिस्तान ने इन ब्रांडों की विश्वसनीयता का दुरुपयोग करते हुए उनके कंधे पर बंदूक रखकर भारत विरोधी साजिश रचने की कोशिश की। यह दो व्यापक उद्देश्यों के साथ पाकिस्तान का एक शरारती खेल था। एक तरफ, पाकिस्तान ने सफलतापूर्वक ‘कश्मीर मुद्दे’ को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर वापस लाना। भारत की ओर से एक आक्रामक प्रतिक्रिया हुई, क्योंकि लाखों लोग इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारतीय समकक्ष के खिलाफ विरोध कर रहे थे, उनसे कभी कुछ नहीं खरीदने की कसम खाई, उनकी बुकिंग रद्द कर दी, आदि।

 

 

 

 

 

  • भारत ने साजिश को कैसे किया विफल
पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल से किए गए पोस्ट ने भारतीयों का गुस्सा बढ़ा दिया। देखते ही देखते भारतीय यूजर्स ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उसकी असलियत दिखाते हुए पाकिस्तान में उसकी हैसियत भी दिखा दी। उनसे माफी मांगने और कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। इस बार कई वरिष्ठ अधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों और प्रसिद्ध हस्तियों ने भी इस प्रवृत्ति का समर्थन किया, और इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। भारत ने हुंडई की पाकिस्तान इकाई की तरफ से तथाकथित कश्मीर एकता दिवस पर सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करने को लेकर दक्षिण कोरिया के राजदूत को तलब किया और इस तरह की अस्वीकार्य पोस्ट को लेकर कड़ी नाखुशी दर्ज करायी। इसमें कोई शक नहीं कि यह भारत की जनता और सरकार के कड़े रुख का नतीजा था। तमाम विदेशी ब्रांड झुक गए हैं, जिसने भारत की ताकत को साबित कर दिया। यह भी सिद्ध कर दिया कि अब भारत की संप्रभुता से कोई नहीं खेल सकता।
पाकिस्तान को भुगतना पड़ेगा खामियाजा?
  • खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ेगा

अब ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने स्थानीय डीलरशिप के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी कर रही हैं, जिसमें डीलरशिप बंद करने जैसे कठोर कदम भी शामिल हैं। इसका निश्चित रूप से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी अब वहां व्यापार करने से डरेगी, और अगर वे करती भी हैं, तो वे ऐसा सख्त नियम बनाकर ऐसा करेंगी कि आगे से पाकिस्तान उनके कंधों पर बंदूक रखकर भारत विरोधी अपने एजेंडे को अंजाम नहीं दे सके। 

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आकाश भगत

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