PM Security Breach: मीडिया रिपोर्ट का दावा, पंजाब पुलिस को किसानों के विरोध की थी जानकारी, फिर भी नहीं की कोई कार्रवाई
5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक का दौरा करने और पंजाब के फिरोजपुर में एक रैली को संबोधित करने के लिए जा रहे थे। लेकिन पीएम मोदी का काफिला लगभग 20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसा रह गया। किसानों ने फ्लाईओवर को जाम कर दिया गया। जिसका बाद ये सुरक्षा उल्लंघन देखते ही देखते राजनीतिक विवाद में तब्दिल हो गया। भाजपा ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार पर पीएम मोदी की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस का कहना था कि सभी आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। घटना के कई संस्करणों के तमाम विवादों के बीच फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच का विषय है।
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लेकिन अब पूरे मामलो को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। जिसमें कहा गया है कि पंजाब पुलिस को किसानों के विरोध के बारे में पता था, लेकिन फिर भी उसकी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इंडिया टुडे के विशेष जांच दल ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्र के स्थानीय लोगों से सुरक्षा चूक के बारे में बात करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इंडिया टुडे के पत्रकार एक स्टिंग ऑपरेशन में अंडरकवर हो गए और फिरोजपुर के पुलिस उपाधीक्षक सुखदेव सिंह से मिले। इस दौरान पत्रकार की तरफ से पीएम मोदी की निर्धारित रैली की सुरक्षा को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 2 जनवरी को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को महत्वपूर्ण सड़कों पर ट्रैफिक रोकने और भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने की योजना के बारे में एक रिपोर्ट भेजी गई थी।
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पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि 2 जनवरी की रिपोर्ट के बाद भी हमने लगातार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अपडेट किया कि प्रदर्शनकारी वहां घुसने की कोशिश करेंगे और अगर पुलिस ने उन्हें रोका तो वे सड़क पर धरना दे सकते हैं। इसके बाद, पत्रकारों ने सुखदेव सिंह से पूछा कि अगर पुलिस को पहले से ही उनकी योजना के बारे में पता था तो प्रदर्शनकारी सड़क पर कैसे जमा हो गए। सुखदेव सिंह ने कहा कि मैंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इसकी सूचना दी। उन्होंने मार्च किया और बैरिकेड्स तोड़ दिए। उन्होंने कहा, “2 जनवरी, 3 और 4 जनवरी को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) नागेश्वर राव आए थे। मैंने एक पत्र सौंपा था।
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इसके बाद, इंडिया टुडे के पत्रकारों ने फिरोजपुर के कुलगढ़ी पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस ऑफिसर बीरबल सिंह से मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग गुस्से में हैं। वे इकट्ठे हुए थे। यह उनका स्थान है, उनका अधिकार है। हम क्या कर सकते है? सरकार ने हमें उन्हें पीटने का आदेश नहीं दिया। यह पूछे जाने पर कि अगर आदेश होता तो पुलिस क्या करती, उन्होंने कहा, “अगर हमारे पास लाठी, आंसू गैस के गोले या गोलियों से उन्हें तितर-बितर करने का आदेश होता, तो हम उन्हें तितर-बितर कर सकते थे। लेकिन चुनाव आ रहे हैं। हम बल प्रयोग नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 5 जनवरी को फिरोजपुर में प्रदर्शनकारी किसान नहीं थे, बल्कि “किसानों की आड़ में कट्टरपंथी” थे।