Parliament Diary’s। हंगामे के बीच पास हुए कई विधेयक, स्थायी समिति के पास भेजा गया मध्यस्थता बिल

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संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। ऐसे में विपक्ष के शोर-शराबे के बीच में कई महत्वपूर्ण बिलों को सदन ने मंजूरी दी है। विपक्ष लगातार लखीमपुर खीरी मामले को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में जुटा हुआ है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लद्दाख को राज्य का दर्जा एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को चारागाह भूमि तक निर्बाध पहुंच की सुविधा प्रदान करने पर चर्चा कराने की मांग को लेकर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया। राहुल गांधी ने कहा कि हम जो भी महत्वपूर्ण मुद्दा उठाना चाहते हैं सरकार उसे उठाने नहीं देती है। 

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लोकसभा की कार्यवाही

लोकसभा में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में एसआईटी द्वारा अदालत में दिए आवेदन की पृष्ठभूमि में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग तथा कुछ अन्य विषयों पर भारी हंगामा किया। इसके कारण सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में विपक्ष के शोर शराबे के बीच ही निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को पारित किया गया। इसके अलावा सदन ने साल 2021-22 की पूरक अनुदान मांगों के दूसरे बैच एवं संबंधित विनियोग विधेयक को मंजूरी दी।

लोकसभा ने निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।

लोकसभा ने जैव विविधता विधेयक को विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेज दिया। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का प्रस्ताव सदन में रखा जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दी गई। इस समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि समिति अगले सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट निचले सदन को देगी। लोकसभा की ओर से सदस्यों को नामित किया जा चुका है। जबकि राज्यसभा जल्द ही सदस्यों को नामित कर सकती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने का अनुरोध किया था। 

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राज्यसभा की कार्यवाही

केंद्र सरकार ने बताया कि विगत दो वर्ष में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर युद्ध विराम उल्लंघनों की कुल 5601 घटनाएं हुईं और इस दौरान जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी चौकियों और सैनिकों को भारी नुकसान पहुंचाया गया। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अग्रिम चौकियों पर तैनात सैन्य टुकड़ियों को पाकिस्तान की तरफ से युद्ध विराम उल्लंघनों का जवाब देने की खुली छूट है।

कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा को बताया कि हम हर स्तर पर तैयारी कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि देश में ओमीक्रोन के 161 मामले अब तक सामने आए हैं जिनमें से 13 फीसदी मामलों में लक्षण अत्यंत मामूली हैं। 80 फीसदी मामलों में कोई लक्षण सामने नहीं आए। 44 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। 96 देशों में ओमीक्रोन फैल चुका है और इसके प्रभावों पर सतत नजर रखी जा रही है।

इसी बीच राज्यसभा ने वाणिज्यिक या उससे भिन्न विवादों के समाधान के लिए सरकार द्वारा लाए गए एक विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया। विधि एवं कानून राज्य मंत्री एस पी सिंह बघेल ने मध्यकता विधेयक, 2021 सदन में पेश किया। इसके बाद विपक्ष ने विधेयक को स्थायी समिति में भेजने की मांग की। इस मांग को स्वीकार करते हुए बघेल ने विधेयक को विधि एवं कानून मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव किया जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया।

इसके तत्काल बाद उपसभापति हरिवंश ने कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन से पैदा हुई स्थिति पर अल्प चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा के जफर इस्लाम का नाम पुकारा। जफर इस्लाम कुछ कहते इससे पहले ही कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके अलावा कुछ विपक्षी सदस्य आसन के करीब पहुंचकर नारेबाजी करने लगे थे। 

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अंत में जाते-जाते आपको बता दें कि राज्यसभा में नेता पीयूष गोयल द्वारा सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर चर्चा और इसके समाधान के लिए बैठक के आह्वान के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने सुबह बैठक बैठक बुलाई थी। जिस पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रह्लाद जोशी को पत्र में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं के बजाय केवल चार दलों को आमंत्रित किया।

वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बहुत खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभापति के आदेश और विपक्ष के बार-बार कहने पर आज बैठक बुलाई थी। लेकिन दुर्भाग्य की बात है​​ कि वो बैठक के लिए भी नहीं आए। अगर वो अपनी गलती स्वीकारते हैं और माफी मांगते हैं तो मुझे लगता है कि उसमें कोई छोटा नहीं होता। उससे सदन की गरिमा बढ़ेगी।

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