किसानों का उत्पीड़न करने पर खानी पड सकती है जेल की हवा, देना पड़ सकता है भारी जुर्माना

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राजस्थान विधानसभा का शनिवार को विशेष सत्र शुरू हो गया, जिसमें पहले दिन तीन कृषि संशोधन विधेयक रखे गए। इन विधेयकों पर सोमवार को चर्चा के बाद पारित किए जाने की संभावना है।
कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि इन बिलों के जरिए राज्य सरकार किसानों के हितों का संरक्षण करेगी। इन विधेयक के जरिए सरकार ये प्रावधान करने जा रही है कि संविदा खेती के मामले में किसान के साथ किसी फर्म या कंपनी का करार तब तक वैध नहीं माना जाएगा, जब तक वह एमएसपी या उससे अधिक दर पर न हो। अर्थात कंपनी एमएसपी से कम दर पर किसान के साथ करार नहीं कर सकेगी। यदि व्यापारी या कंपनी की ओर से किसान को एमएसपी से कम पर करार के लिए मजबूर किया उसे किसान के उत्पीडन की श्रेणी में माना जाएगा। इसके लिए तीन से सात साल तक की जेल और 5 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान करने जा रहे है। यही नहीं करार के बाद यदि कंपनी या व्यापारी किसान की उपज नहीं खरीदते और तीन दिन में किसान को उपज का भुगतान नहीं करते तो इसे भी किसानों के उत्पीडन की श्रेणी में माना जाएगा।

कोर्ट में भी जा सकेगा किसान
कटारिया ने बताया कि संविदा खेती के कारार पर किसान का व्यापारी के साथ विवाद होने पर मंडी समिति स्तर पर अर्जी दे सकेगा। मंडी स्तर पर विवाद का समाधान नहीं हानेे पर वह कृषि निदेशक के यहां अपील कर सकेगा। यदि कृषि निदेशक के फैसले से भी किसान संतुष्ट नहीं हुआ तो वह न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकता है।

राज्य सरकार लगा सकेगी स्टॉक लिमिट
राज्य में आपात परिस्थिति, अनाज के संकट, महंगाई आदि होने की स्थिति में राज्य सरकार कृषि जींसों पर स्टॉक लिमिट लगा सकेगी। आवश्यक वस्तु (विशेष उपबन्ध और राजस्थान संशोधन) विधेयक में इसका प्रावधान किया है। जबकि केंद्र के कानून में स्टॉक लिमिट का प्रावधान नहीं है।

 

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