नंगे पांव पद्मश्री पुरस्कार लेने पहुंचे संतरे बेचने वाले हरेकला हजब्बा, तालियों से गूंजा राष्ट्रपति भवन

0
सोमवार को भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री का आयोजन किया गया जिसमें देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सभी विजेताओं को सम्मानित किया। इस आयोजन में राष्ट्रपति भवन में जब एक विजेता नंगे पैर और साधारण कपड़ें पहने अपना पुरस्कार हासिल करने पहुंचा तो पूरा राष्ट्रपति भवन तालियों से गूंज उठा। इस शख्स का नाम है हरेकला हजब्बा। कर्नाटक के नारंगी विक्रेता हरेकला हजब्बा जब अपना सम्मान लेने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास पहुंचे तो उस दौरान वह नंगे पैर थे और काफी साधारण कपड़े पहने हुए थे। उन्हें यह सम्मान उनकी काबिलियत और शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने के लिए दिया गया। बता दें कि, हजब्बा कर्नाटक के मैंगलोर की सड़कों पर संतरे बेचते है और उन्होंने संतरे बेचते हुए अपने गांव में वंचित बच्चों के लिए स्कूल बनाया है। 

इसे भी पढ़ें: सुषमा, जेटली, फर्नांडीस को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया

सोमवार को राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में हजब्बा को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी दी भी मौजूद थे। हजब्बा की उम्र 65 साल है और वह अपने गांव में स्कूल न होने के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए थे, जिसकी वजह से उन्होंने उन वंचित बच्चों की शिक्षा के लिए नारंगी बेच कर स्कूल बनाने का सोचा। नारंगी बेच कर अपने गांव में स्कूल खड़ा करने के बाद आज वह शिक्षितों के लिए मिसाल बनकर उभरे हैं। हजब्बा ने मैंगलोर शहर से लगभग 35 किमी दूर हरेकला-न्यूपाडपु गांव में अपने स्कूल का निर्माण किया है। इस समय स्कूल में 175 वंचित बच्चे पढ़ाई कर रहे।

इसे भी पढ़ें: करण जौहर,एकता कपूर,कंगना रनौत, अदनान सामी सहित 61 को पदम श्री पुरस्कार प्रदान किया गया

जानिए हजब्बा के बारे में
हरेकला हजब्बा साल 1977 से संतरे बेच रहे हैं और उन्होंने स्कूल में पढ़ाई नहीं की।साल 1978 में अपने गांव में स्कूल का निर्माण को लेकर हजब्बा ने सोचा था। पद्म पुरस्कार विजेता ने एएनआई को बताया कि, वह केवल कन्नड़ जानते हैं इसके अलावा उन्हें न अंग्रेजी आती है और न ही हिंदी। जब एक विदेशी ने उनसे संतरे का दाम पूछा था तो वह बहुत उदास हुए क्योंकि वह विदेशी को जवाब नहीं दे पा रहे थे। तभी उनके दिमाग में स्कूल के निर्माण का ख्याल आया।हजब्बा के  स्कूल का निर्माण दो दशक बाद पूरा हुआ। उन्होंने केवल 28 छात्रों के साथ अपना स्कूल शुरू किया था और अब कक्षा 10 तक 175 छात्र उनके स्कूल में पढ़ते है। न केवल स्कूल बल्कि गांव में एक कॉलेज भी हजब्बा खोलना चाहते है। हजब्बा ने  कहा कि, मैनें पीएम मोदी से अपने गांव में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज (कक्षा 11 और 12 के छात्रों के लिए) का निर्माण करने का अनुरोध किया है। 

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *