भारत-दुबई ने कश्मीर पर साइन की मेगाडील, पाकिस्तान के लिए कहा जा रहा करारा झटका
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के दो साल के बाद केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र से जुड़ा एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। दुबई की सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने एक इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
वैसे तो अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि दुबई जम्मू और कश्मीर में कितनी राशि निवेश करने जा रहा है। लेकिन इतना जरूर है कि इस समझौते के तहत दुबई कश्मीर में औद्योगिक पार्क, आईटी टावर, बहुउद्देश्यीय टावर, लॉजिस्टिक टॉवर्स, मेडिकल कॉलेज और एक विशेष अस्पताल सहित बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा। इस समझौते को काफी अहम इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता है जो कि सच्चाई के बिल्कुल विपरीत है। यूएई ने अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद भी पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया था।
- केंद्रीय वाणिज्य ने कही ये बात
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक बयान में कहा है कि दुबई सरकार के साथ समझौता ज्ञापन दिखाता है कि दुनिया यह मान रही है कि जम्मू-कश्मीर विकास की गति पर सवार हो रहा है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि यह MoU एक मज़बूत संकेत पूरी दुनिया को देता है कि भारत एक वैश्विक ताक़त में बदल रहा है और जम्मू-कश्मीर की इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
- पाकिस्तान के लिए झटका
पाकिस्तान के राजनयिकों का कहना है कि ये उनके लिए एक बड़ा झटका है। दुबई यूएई का एक इस्लामिक देश है। पाकिस्तान की कोशिश रही है कि वो कश्मीर के मामले में इस्लामिक कनेक्शन जोड़ते हुए भारत के खिलाफ समर्थन जुटाए। हालांकि पाकिस्तान को इस पर अब तक वैसी कामयाबी नहीं मिली है, जो वो चाहता है।
- भारत के लिए बड़ी कामयाबी
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद दुबई का कश्मीर में समझौता करना केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर उसे मान्यता देने के तौर पर है। इसे पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक झटका और भारत के लिए एक बड़ी जीत के तौर पर देखा जा सकता है।
विश्व को आज भारत के ऊपर विश्वास है कि भविष्य में हमारा देश विश्व व्यापार में अहम भूमिका निभाने जा रहा है।