तेज प्रताप व तेजस्वी के बीच शह-मात का खेल ! क्या परिवार में कमजोर हो गई लालू की पकड़?
बिहार की राजनीति अपने आप में बेहद ही दिलचस्प है। हालांकि जब से लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक कद बढ़ा तब से बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिला। आज भी राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना है कि लालू प्रसाद यादव से बेहतर बिहार के लोगों के मन को समझने वाला नेता नहीं हुआ है। लालू प्रसाद यादव की राजनीति बिहार में काफी समय तक रही और आज भी माना जाता है कि अगर लालू प्रसाद यादव सक्रिय राजनीति में होते तो शायद उनकी पार्टी सत्ता में होती। लालू प्रसाद यादव अपनी पार्टी के साथ-साथ अपने परिवारवाद की राजनीति को भी आगे बढ़ाते रहते हैं। लेकिन उनकी पार्टी तो आजकल ठीक-ठाक आगे बढ़ रही है पर परिवार की कवह को संभाल पाने में लालू नाकाम साबित दिखाई दे रहे हैं।
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हालिया दिनों की घटनाओं पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि लालू परिवार दो भागों में बंट गया है। एक ओर लालू यादव के विरासत के खेवनहार माने जाने वाले तेजस्वी यादव हैं तो दूसरी ओर लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कहीं ना कहीं लालू सियासी तौर पर अभी अपनी पकड़ मजबूत रखे हुए जरूर हैं। लेकिन परिवारिक तौर पर उनकी पकड़ कमजोर हो रही है। शायद यही कारण है कि परिवार में बिखराव देखने को मिल रहा है जिसका असर पार्टी पर भी हो सकता है। दोनों भाइयों के बीच विवाद तब बढ़ गया जब तेज प्रताप ने साफ तौर पर कह दिया कि उनके पिताजी को राजनीतिक रूप से दूर रखने के लिए दिल्ली में बंधक बनाकर रखा गया है। हालांकि राजद और खुद तेजस्वी यादव ने भी तेज प्रताप के इस बयान को ज्यादा महत्व नहीं दिया।
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विवाद इतना बढ़ गया है कि आनन-फानन में राबड़ी देवी को पटना जाना पड़ा। राबड़ी देवी बड़े बेटे के आवास पर मिलने पहुंचीं। लेकिन तेज प्रताप गायब रहे। राबड़ी देवी तेज प्रताप से भी संपर्क करने की कोशिश करती रहीं लेकिन ना तेज प्रताप ने उनका फोन उठाया और ना ही मिलने पहुंचे। माना जा रहा है कि कहीं ना कहीं यह लालू यादव के परिवार में घटते कद का परिचायक है। जेल से रिहा होने के बाद और गंभीर बीमारी के कारण लालू यादव दिल्ली में ही हैं। ऐसे में बिहार की सक्रिय राजनीति से वह दूर तो जरूर हैं लेकिन दूसरे नेताओं से मेल-मुलाकात का दौर उनका जारी है।
तेज प्रताप की शिकायत
तेज प्रताप की सबसे बड़ी शिकायत तो यह है कि लालू प्रसाद यादव तेजस्वी को महत्व देते हैं। जब लालू ने अपने उत्तराधिकारी की तलाश शुरू की तो उनमें मीसा भारती, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव को महत्व दिया गया। हालांकि लालू परिवार के एक करीबी ने बताया कि तेजस्वी हमेशा से लालू के पसंद रहे। हालांकि राबड़ी देवी हमेशा बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के ही पक्ष में रहीं। तेज प्रताप यादव इस बात पर ज्यादा जोर देते हैं कि सत्ता की कमान तेजस्वी यादव के हाथों में रहे और पार्टी की कमान उनके हाथों में रहे जिसकी वह बार-बार वकालत भी करते रहते हैं। लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। यही कारण है कि दोनों भाइयों के रिश्तों में खटास देखने को मिल रही है।