भवानीपुर में जीत के बाद भी क्या नहीं टला है ममता की कुर्सी का संकट? अब राज्यपाल धनखड़ के पाले में गेंद

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जब तक विधानसभा उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई थी तब तक ये कहा जा रहा था कि अक्टूबर तक चुनाव होने नहीं है। 4 नवंबर को ममता के मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए हुए पूरे छह महीने हो जाएंगे। इसकी साथ ही कोरोना के दूसरी लहर के बीच उपचुनाव नहीं होने की सूरत में उनकी कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी। इसकी बेचैनी तृणमूल कांग्रेस के भीतर भी देखने को मिल रही थी। टीएमसी के नेता कई बार चुनाव आयोग के घर दस्तक भी दी। जिसके बाद 6 सितंबर को एक अधिसूचना जारी होती है। जिसके बाद लगने लगा कि अब ममता बनर्जी का भवानीपुर का रास्ता साफ हो गया। चुनाव के बाद के परिणामों ने भी ये स्पष्ट कर दिया कि ममता बनर्जी की कुर्सी सुरक्षित हो गई। लेकिन उपचुनाव के नतीजों और तृणमूल के जश्न को अभी एक ही दिन पूरे हुए थे कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक बड़ा फैसला ले लिया है।  

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ममता बनर्जी को पहले सदस्यता की शपथ लेनी होगी और ये शपथ उन्हें राज्यपाल द्वारा ही दिलाई जाएगी। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार जब सदन चलता है तो राज्यपाल की शक्ति स्पीकर में निहित होती है और स्पीकर सदस्यों कोसदस्यता की शपथ दिलाता है। लेकिन इस वक्त बंगाल में विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है। ऐसे में स्पीकर की तरफ से राज्यपाल से टीएमसी के चुनकर आए विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाने की अनुमति मांगी गई। लेकिन राज्यपाल धनखड़ ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि अभी तो जीते उम्मीदवारों की अधिसूचना भी चुनाव आयोग की तरफ से जारी नहीं की गई है।  इसके आने के बाद ही राज्यपाल द्वारा शपथ की तारीख तय की जाएगी। टीएमसी नेताओं का कहना है कि ममता दुर्गा पूजा से पहले ही सभी औपचारिकताएं निपटा लेना चाहती हैं, जिसमें अब एक हफ्ते से भी कम का समय बचा है। ममता बनर्जी ने भवानीपुर उपचुनाव में रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज की लेकिन मुख्यमंत्री बने रहने के लिए, तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी को 4 नवंबर तक विधानसभा के सदस्य के तौर पर शपथ लेना जरूरी है। ऐसे में उनकी कुर्सी को लेकर अभी भी पेंच फंसा ही है। 

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